एक माँ जन्म देती है बच्चे को
सहन करती है तन पर ताउम्र
बेइंतहा कष्ट हर क्षण,हर पल
पर, बच्चे की दादी बच्चे की
माँ से भी अधिक प्रेम करती है
बच्चे को, मन भर नेह लुटाती है।।
माँ जन्म देती है बच्चे को
जब कभी बच्चे की शरारत से
माँ हो जाती है बहुत परेशान
गुस्से में थप्पड़ लगा देती है
भले बाद में स्वयं ख़ुद रोती है
पर, दादी माँ नहीं मारती है पोते-पोती को
चाहे पोते-पोती लाख करे परेशान दादी को
आखिर दादी बच्चे की माँ से भी अधिक
प्रेम जो करती है बच्चे से।।
माँ जन्म देती है बेशक बच्चे को
बेइंतहा प्रेम भी करती है भले ही अपने बच्चे को
पर बच्चे की दादी बच्चे पर लुटा देती है
अपने हिस्से की हर ख़ुशी, हर सुख
पोते-पोती के लिए दादी सर्वस्व अर्पित कर देती है
पोत-पोती के लिए ख़ुद ख़ुश रहना भूल जाती है।।
माँ जब अत्यधिक क्रोधित होकर
बच्चे को डांटती है, बच्चे को सजा देती है
तो इधर बच्चे की दादी ठीक उसी तरह
तड़पती है,सिहरती है, बेचैन होती है
जिस तरह एक मछली तड़पती है
इंसानों द्वारा जबर्दस्ती काटने वक्त
जिस तरह एक मछली पानी के बिना
हो जाती है बहुत बेचैन
ठीक उसी तरह दादी भी हो जाती है बेचैन।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Well penned
धन्यवाद आपका
बहुत प्यारी लाइन्स 👌👌
धन्यवाद दी आपका🙏🏻🙏🏻सादर प्रणाम
दादी की याद दिला दी.. बेहद भावपूर्ण
सुन्दर
धन्यवाद सुषमा दी
धन्यवाद मैम
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