2020
मजदूरों को तो हर दिन
ज़िंदगी की कठिन परीक्षा
देनी ही पड़ती थी
दो वक्त की रोटी खातिर
यत्र-तत्र भटकना ही पड़ता था
पर, इस वर्ष
मजदूरों के पाँव में पड़े छाले
इस बात की गवाह हैं कि
इस वर्ष ने
उन्हें सताया, तड़पाया है बेइंतहा।।
2020
इस वर्ष फिल्म जगत के कई सितारें
भी हमसे दूर बहुत दूर चले गए
खैर जीवन मरण तो ईश्वर के हाथ में है
पर, फिर भी इस बात के लिए
कहीं न कहीं हो तुम ही ज़िम्मेदार
क्योंकि जब से आगमन हुआ तुम्हारा
कुछ न कुछ अनहोनी
ही घटित हुई संपूर्ण जगत में।।
2020
इस वर्ष, तमाम माँओं की चिंता भी बढ़ गई थीं
माँएं चिंतित रहती थीं
इस बात के लिए कि
उसका बच्चा सही सलामत लौटेगा भी या नहीं
अदृश्य शत्रु के चंगुल से
माँओं की चिंता भी जायज थीं
और इसके ज़िम्मेदार भी कहीं न कहीं
तुम ही थे।।
2020
क्या मिला तुम्हें निर्धनों को बेइंतहा दर्द देकर
क्या मिला तुम्हें असहाय की आँखों में आँसू देकर
खैर तुमने सीख भी दी है संपूर्ण जगत को
तुमने सिखलाया
धन ही सबकुछ नहीं है
वक्त सर्वोपरि है
ईश्वर से बड़ा कोई नहीं है
प्रकृति के संग खिलवाड़ सही नहीं है
मजदूरों की मेहनत कमतर आंकना उचित नहीं है।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Bahut acha. Ummid hai Naya saal sabke liye tandrusti aur khushiyan late. Happy new year.
wow... very well penned champ , Keep Shining
बहुत सही लिखा है बहुत बढ़िया
धन्यवाद मैम
धन्यवाद तालिब सर
धन्यवाद दी
अति सुंदर
Please Login or Create a free account to comment.