बाढ़ का पानी

बाढ़ से बेहाल लोगों की मदद हेतु आगे ज़रूर बढ़ें। दीन दुखियों की मदद ज़रूर करें।

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 24 Jul, 2020 | 1 min read
Poor Pain Zindagi Flood



"सुनती हो, भोजपुरिया की माँ! देखो न बाढ़ का पानी अब अपने घर से चंद कदम ही दूर है। अब हमें यहां से दूर कहीं चले जाना चाहिए।" गंभीर चिंता जाहिर करते हुए दीनानाथ ने यह बात अपनी पत्नी से कहा। पत्नी ने कहा, "भला हमलोग जाएं भी तो कहाँ जाएं? खाने के लिए अब तो कुछ भी है भी नहीं घर में। और न ही दूर-दूर तक कोई राश्ता सूझ रहा है। कोई मदद के लिए हाथ भी आगे नहीं बढ़ा रहा है चाहे सरकार हो या कोई सुखी संपन्न परिवार। जाने दीजिए! ईश्वर की यही मर्जी है कि हम दीन दुखियारे हमेशा दुख झेलें तो यही सही। पत्नी की इस बात को सुनकर दीनानाथ आँखों से निकलने वाले आंसुओं को धोती से पोछने लगा।


©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित


  

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Kumar Sandeep

Kumar_Sandeep

Comments

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  • Akhilesh Upadhyay · 4 years ago last edited 4 years ago

    भावार्थ सहित । सुन्दर वर्णन।

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    धन्यवाद आपका भाई जी

  • Babita Kushwaha · 4 years ago last edited 4 years ago

    भावुक👌

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    धन्यवाद दी

  • Resmi Sharma (Nikki ) · 4 years ago last edited 4 years ago

    सही लिखा है 👏👏👏👏

  • Varsha Sharma · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत सुन्दर लिखा भाई

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    धन्यवाद माता श्री

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    धन्यवाद मैम

  • ARCHANA ANAND · 4 years ago last edited 4 years ago

    गागर में सागर

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    धन्यवाद दी

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