Kumar Sandeep
24 Oct, 2021
मन
मेरे मन ने मुझसे मुस्कुराकर पूछा, "तू सचमुच नासमझ है क्या रे? रिश्ते निभाने की कला शायद ज्ञात नहीं तुझे। तू हर बार धोखा खाता है, फिर भी मुस्कुराता है।" मैंने हँसते हुए कहा, नासमझ नहीं हूँ रे! रिश्ते ही तो फूंकते है प्राण तन में, इन्हें मायूस करने के लिए दिल राजी नहीं होता।
Paperwiff
by Kumar_Sandeep
24 Oct, 2021
मन का प्रश्न
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