हम जिस पुनीत पावन राज्य में रहते है उसका नाम है बिहार।यहाँ सभी पर्व बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है उसी में से एक है होली।यहाँ पर होली बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती।बिहार के लोग आर्थिक समस्या से भले ही जूझते हों पर त्योहार के वक्त उनकी ख़ुशी की सीमा नहीं रहती है।जितनी जिसकी क्षमता होती है उसके अनुसार त्योहार मनाते हैं।होली आने से एक माह पूर्व ही इसकी तैयारी आरंभ हो जाती है।
होली से एक दिन पूर्व होलिकादहन की जाती है।इस दिन संध्याकाल में घर में ढ़ेर सारे स्वादिष्ट पकवान बनते हैं।जिनमें से बड़ी,कचरी,पकौडे और कधी मुख्य व्यंजन है।होलिकादहन के वक्त सभी प्रण लेते हैं कि आज से किसी भी तरह के नकारात्मक विचार मन में नहीं पनपे दूँगा।
होलिकादहन के अगले दिन होली का त्योहार बड़े ही हर्ष से मनाया जाता है बिहार में।सुबह आँखें खोलते ही बच्चों के चेहरे पर एक अजीब ख़ुशी दिखाई देने लगती है।बच्चे सुबह में एक दूसरे के ऊपर मिट्टी डालकर गाँवों में पूरे उमंग से होली मनाते हैं।उसके बाद दोपहर में रंग से होली खेलते हैं।सभी बच्चे एक दूसरे के ऊपर रंग डालते हैं।इस दिन घर में ढ़ेर सारे पकवान बनाएं जाते हैं जिसमें माल पुआ और कचौड़ी, पुरी और खीर मुख्य व्यंजन है।होली के दिन संध्याकाल में सभी बच्चे हाथों में गुलाल का पैकेट लेकर अपने परिवार के सभी सदस्यों और आस-पड़ोस के सभी बड़ों के चरणों पर गुलाल रखकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।जो हमारी संस्कृति का जीता जागता उदाहरण है।बच्चे बड़ों से आशीर्वाद लेते हैं।
होली को एकता और भाईचारे का पर्व भी कहा जाता है।होली के दिन सभी गिले शिकवे भूलकर सभी एक दूसरे से गले मिलते हैं और सदैव एक साथ रहने का वचन लेते हैं।त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है यहाँ।भौतिक सुख सुविधाओं के साधन की भले ही कमी है यहाँ कुछ घरों में पर त्योहार बड़े ही हर्ष के साथ मनाया जाता है यहाँ हर घरों में।धरती पुत्र बिहारी के लिए होली का पर्व ढ़ेर सारी ख़ुशियाँ लेकर आता है।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित,अप्रसारित
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