हे वीर सैैैनिक!
है बारम्बार प्रणाम वीर सैनिक
मेरी कलम में इतनी शक्ति कहाँजो कर सके सैनिकों की शख्सियत बयांख़ुद के लिए नहींसैनिक देश के लिए जीते हैं।।
हे वीर सैनिक!है बारम्बार नमस्कार वीर सैनिकपरिवार से दूर रहकर माँ की ममता से कोसों दूर रहकरदेश की रक्षा में रहते हैं डटे हर परिस्थिति मेंहो कड़ाके की ठंड या जेठ की दुपहरीभूल सारे कष्ट न करते हैं सैनिक प्रवाह स्वयं की।।
हे वीर सैनिक!है बारम्बार प्रणाम वीर सैनिकदेश के ऊपर जब कभी आती है मुश्किलसैनिक करते हैं सर्वस्व समर्पितजान की बाजी लगाकरदुश्मनों के दाँत खट्टे करते हैं सैनिकभारत माँ को तुम पर है नाज सैनिक।।
हे वीर सैनिक!है बारम्बार नमस्कार वीर सैनिकमुसीबतों से लड़ जीत जाते हैं सैनिकलड़ते-लड़ते जान गवां देते हैं सैनिकहम देशवासी न भूलेंगे शहादतसैनिक जीते हैं देश के लिएहम सभी करते हैं बारम्बार प्रणाम आज हे सैनिक!
©कुमार संदीपमौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित,अप्रसारित
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