परिस्थिति हो प्रतिकूल या अनुकूल
बच्चों को पढ़ाना है लक्ष्य मेरा
मुश्किलें लाख चाहे रोकना कदम
मुश्किलों को देकर मात
इतिहास रचने की ठानी है मैंने
हाँ,मैं शिक्षक हूँ!
मेरी परिस्थिति भले ही कैसी भी हो
बच्चों का साथ सदा निभाने का प्रण लिया है मैंने।।
अनुशासन का अध्याय पढ़ाता हूँ विद्यार्थियों को
परिवार का सदस्य मानता हूँ उन्हें
कभी-कभी डाँट देता हूँ,सजा देता हूँ उन्हें
आखिर मैं उन्हें भविष्य में
अच्छा इंसान बनाना चाहता हूँ
मैं नहीं चाहता कि बच्चे गलत राह पर जाएं
हाँ,मैं शिक्षक हूँ!
बच्चों को किताबी ज्ञान ही नहीं ज्ञान की बात भी बताता हूँ।
मेरा मूल लक्ष्य है बच्चों का बेहतर भविष्य
मेरी चाहत है यही बच्चों का भविष्य हो उज्ज्वल
मुझे सरोकार नहीं है ख़ुद की ख़ुशी से
बच्चे यदि हो जाएंगे सफल भविष्य में एक दिन
वही मेरे लिए सबसे बड़ी ख़ुशी होगी
हाँ,मैं शिक्षक हूँ!
जिस तरह एक पिता की ख़ुशी उसके बच्चों में होती है
उसी तरह मेरी ख़ुशी विद्यार्थियों की ख़ुशी में है।।
चाहत नहीं है कि अपार सफलता अर्जित करूँ
चाहत नहीं है कि हो हर जगह प्रशंसा मेरी
मेरी चाहत है यही कि बच्चे सफलता प्राप्त करें
मेरी चाहत है यही बच्चे बने एक दिन महान
करें परिवार का और राष्ट्र का नाम रोशन
हाँ,मैं शिक्षक हूँ!
है मेरी चाहत इतनी ही कि
बच्चों का भविष्य हो चमकीला आज न सही पर कल।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
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