हमारे देश के सैनिक क्या नहीं करते हैं हमारे लिए।हर पल सरहद पर डटे रहते हैं हमारी सुरक्षा के लिए।हम सभी अपने-अपने घरों में सुरक्षित रहें इसलिए सैनिक अपने शरीर पर मौसम की मार भी सहन करते हैं फिर भी हारते नहीं हैं।जेठ की दुपहरी कितनी जलाती है हमें यह हम सभी जानते हैं,उस वक्त भी एक सैनिक नहीं हारते हैं हिम्मत और डटे रहते हैं सरहद पर।सहन करते हैं तन पर कड़कती धूप।कपकपाती ठंड में भी सरहद पर डटे रहते हैं।
कितना मुश्किल होता है न ख़ुद के परिवार से दूर रहना।अपनी माँ की ममता से दूर रहना,पिता के प्यार रुपी छाँव से दूर रहना,अपने आँखों के तारे(बेटे) से दूर रहना।याद तो आती ही हैं ज़रूर अपने परिवारवालों की फिर भी सैनिक अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हैं।सैनिकों के लिए तो उनका देश ही उनका अपना परिवार है।तो भला अपने परिवार को मुश्किल में कैसे देख सकते हैं।इसीलिए तो तन और मन से हर पल देश की सुरक्षा करते हैं हमारी सुरक्षा करते हैं।
अपनी ज़िंदगी जीभर जीना कौन नहीं चाहता है! हर कोई चाहता है कि अपनी ज़िंदगी अच्छे से गुजार सकूं बिना किसी उलझन और कठिनाई के।पर एक शख़्स ऐसा भी है जो ख़ुद की परवाह नहीं करता है कभी हाँ उस शख़्स का नाम है सैनिक।बात जब वतन की हो तो अपने प्राणों की आहुति देकर भी वतन की रक्षा करता है।अंतिम साँस तक दुश्मनों से लड़ता है एक सैनिक।दुश्मनों के डाँट खट्टे कर के ही दम लेता है।देशवासियों के लिए प्राण की प्रवाह किए बगैर अंतिम सांस तक वतन की रक्षा करना कोई सैनिकों से सीखे।
सैनिकों के योगदान और देश के प्रति उनके अंदर जो प्रेम,स्नेह और समर्पण का भाव है उसे मैं अपनी कलम के माध्यम से व्यक्त कर पाने में असमर्थ हूँ।उनके विषय में जितना भी लिखा जाए कम है।जो शख़्स ख़ुद की परवाह किए बगैर देश के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करता है उसकी सलामती की दुआ हमें भी दिन में एक बार ही सही ईश्वर से ज़रूर करना चाहिए।जहां कभी भी सैनिक दिखें उन्हें सलाम कीजिए बारम्बार नमस्कार कीजिए।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
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