आज इस आलेख के माध्यम से आपके समक्ष लॉकडाउन के समय बिताए जाए रहे निजी अनुभवों को साझा करने जा रहा हूँ।लॉकडाउन के समय सभी की स्थिति सचमुच चिंताजनक है।पर हम सभी कर भी क्या सकते हैं?हमें अपनी ज़िंदगी तो गुजारनी ही है।वक्त के समक्ष और ईश्वर की मर्जी के समक्ष हम सभी बेबस हैं।
आज के दिन मैंने अपने आस-पड़ोस और परिवार के सदस्यों को समझाने का प्रयत्न किया कि हमें चिंता तनिक भी नहीं करनी है बल्कि परिस्थिति से डटकर सामना करना है।आज का दिन सभी के समक्ष सार्थक विचार साझा करने में गुजरा।सभी को विश्वास दिलाने का प्रयत्न किया मैंने कि तनाव हमें बिल्कुल नहीं लेना है।हाँ,सावधानी इस वक्त बरतना अति आवश्यक है।
आप सभी से भी विनम्र अनुरोध है कि इस वक्त इस तरह का सार्थक प्रयास कीजिए।भले ही आर्थिक मदद कर पाने में आप असमर्थ हो पर किसी के हौसले को बढ़ाने का कार्य आप बिना पैसों के भी संपन्न कर सकते हैं।यथासंभव प्रयास कीजिए इस वक्त दूसरों को धैर्य और साहस प्रदान करने की।
लॉकडाउन के समय सभी के मन में तनाव भरा हुआ है।एक सार्थक प्रयास कीजिए सभी के मन में सकारात्मक विचार का संचार करने का।रिश्तेदारों को समझाने का प्रयास कीजिए कि तनाव बिल्कुल भी न लें।ये बुरा वक्त निश्चित ही फिर अपने घर लौट जाएगा।फिर से चहुंओर ख़ुशहाली छाएगी।बस इस वक्त हमें हिम्मत से काम लेना है।कोरोना आया भले ही कहीं से हो पर हमसे निश्चित ही हार कर जाएगा।इतना विश्वास अवश्य रखिये।आलेख के अंत में इतना कहना चाहूंगा कि सावधानी अवश्य बरतिए।आप सभी सपरिवार सदा स्वस्थ व ख़ुश रहें यही प्रार्थना ईश्वर से करता हूँ।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
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