वक्त तू दे जवाब आजतू आज इतना बेरहम क्यूं हो गया है?तू आज इतना निर्दयी कैसे हो गया है?क्यूं तू आज बेइंतहा दर्द दे रहा है निर्धन परिवार को?
वक्त तू दे जवाब आजतेरा रंग,रुप क्यूं आज इतना बदल गया है?तू भला किस बात की सजा एक गरीब को दे रहा है?क्यूं तुमने मायूस के आंसू तोहफे में दिया है गरीब को?
वक्त तू दे जवाब आज तू क्यूं हर बार सताता है एक गरीब को जीभर?तेरे अंतर्मन में क्यूं नहीं है तनिक भी दया?क्यूं तू रुलाता है बेसहारों को संकट की घड़ी में मन भर?
वक्त तू दे जवाब आजतू क्यूं नहीं करता है परवाह असहाय, दीन दुखियों की?तू क्यूं हर बार,हर क्षण तड़पाता है एक गरीब को?क्यूं तेरी आँखों में पानी नहीं है निर्धनों के प्रति?
वक्त तू दे जवाब आजतू कब उबारेगा संकट की इस घड़ी से सबों को?तू कब देगा ख़ुशियों की सौगात दीन दुखियों को?तू कब पूरी दुनिया से फिर से गम दूर करेगा?
©कुमार संदीपमौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
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