रिश्तों की डोर टॉपिक के लिए आज मेरा यह दसवां आलेख है।उम्मीद है कि आपको रिश्तों की डोर टॉपिक के अंतर्गत प्रस्तुत सभी आलेख पसंद आई होगी। आज दसवें आलेख में पुनः रिश्तों में मजबूती लाने और नजदीकियां बढ़ाने से संबंधित कुछ बातें आपसे साझा करूंगा।एक अनुरोध है कि कृपया आलेख को अंत तक पढ़ें।
किसी भी रिश्ते में मिठास और एकता तभी बढ़ती है जब हमें रिश्तों को निभाने का हुनर आता हो, अन्यथा रिश्ते ज्यादा समय तक कायम नहीं रहते हैं। रिश्तों की डोर रहे मजबूत इसलिए ये सभी गुण होने चाहिए हमारे अंदर मेरे मतानुसार--
१)त्याग करने की भावना:- रिश्तों की डोर रहे मजबूत इसलिए हमें कुछ त्याग भी करना पड़ता है। बिना त्याग व समर्पण के कोई भी रिश्ते कायम नहीं रह सकते हैं हमेशा के लिए। रिश्तों में मिठास बढ़े इसलिए नितांत आवश्यक है कि हम कुछ त्याग करें अपनों के लिए। अपनापन बढ़ाने हेतु व रिश्तों की डोर मजबूत करने हेतु कुछ त्याग कुछ समर्पण अति आवश्यक है।
२)चेहरे पर मुस्कान:- छोटी-छोटी बातों को दिल पर लेकर मायूस रहने से हमारा ख़ुद का नुकसान तो होता ही है साथ ही रिश्तों में दूरियां भी बढ़ती है। इसलिए यह ज़रूरी है कि हम हर हालात में चेहरे पर मुस्कान रखें ताकि हम स्वयं भी ख़ुश रह सकें और रिश्तों में खटास भी न बढ़े।
३)प्रेम की प्रबल भावना:- यदि मन में घृणा की भावना हो तो रिश्तों की डोर कमजोर होनी स्वभाविक है। इसलिए परिस्थिति कैसी भी हो मन में प्रेम की भावना प्रबल रखें हमेशा। कभी भी मन में घृणा पनपे ही न दें। कभी भी मनमुटाव की स्थिति उत्पन्न होने ही मत दीजिए।
४)सामंजस्य की स्थिति:- रिश्तों में सामंजस्य स्थापित करना ज़रूरी है। यदि मनमुटाव की स्थिति अत्यधिक दिनों तक बनी रहे तो एक दिन ऐसा भी आता है जब रिश्ते सर्वदा के लिए बिखर जाते हैं। इसलिए सामंजस्य बनाए रखिये। कुछ बातों को भूल जाइये।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
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