रिश्तों की डोर न हो कमजोर

रिश्तों की डोर न हो कमजोर

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 12 Mar, 2020 | 1 min read

आज हम आपको इस आर्टिकल में बताने जा रहें कि किस प्रकार हम टूटते संबधों,रिश्तों को बचा सकते हैं।संबंध,रिश्ते बनाने में समय लगता है परंतु यदि तोड़ना चाहें जो एक पल में संबंध टूट सकता है।रिश्ते न टूटे सदैव बनी रहे इसलिए कुछ अच्छा करना पड़ेगा हमें।

अपनी गलती:-हमारी सबसे बड़ी गलती यह है कि हमें अपनी गलती का एहसास नहीं होता।हमें अपनी गलती का एहसास होना अत्यंत आवश्यक है।दूसरे के ऊपर दोषारोपण करने से बेहतर है कि सर्वप्रथम हम अपनी खामियों पर गौर करें व ख़ुद में परिवर्तन लाएं।

प्रेम की भाषा:-प्रेम में बहुत बड़ी ताकत है।प्रेम के बल पर आप दूसरे के दिल पर कबजा जमा सकते हैं।वहीं यदि आपका स्वभाव कर्कश प्रवृत्ति का है नकारात्मक विचार आपके अंदर भरा हुआ है असीमित तो इस स्थिति में रिश्ते टूटना लाजिमी है।रिश्ते कायम रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है कि आप प्रेम से सरल स्वभाव से सभी से पेश आएं।

ईर्ष्या की भावना:-ईर्ष्या की भावना मन में जिस घड़ी पनप जाती है विनाश की स्थिति उत्पन्न हो जाती है उस घड़ी से।रिश्ते के बीच ईर्ष्या और द्वेष की भावन कभी नहीं आनी चाहिए।अन्यथा रिश्ते बिखर जाते हैं।

अतीत की बात:-बीती बातों को याद कर उकेरकर वर्तमान को खराब नहीं करना चाहिए।एक ही बात की जिद लेकर बैठ जाना रिश्तों में दरार उत्पन्न कर सकता है।इसलिए आवश्यक है कि कुछ बातों को नजरअंदाज कर दिया जाए।यदि कुछ बातों को अनसुना कर देने से रिश्ते कायम रहते हैं तो भूल जाना चाहिए कुछ बातों को।रिश्तों की डोर न हो कमजोर इस बात का सर्वदा ख़याल रखें।

©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित,अप्रकाशित

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