आज फिर से हाजिर हूँ आपके समक्ष आपके लिए एक सुंदर और संदेशप्रद आलेख लेकर।लॉकडाउन के टाइम हम सभी अपने-अपने घरों में हैं और इस टाइम को अलग-अलग तरह से हम सभी व्यतीत कर रहें हैं।मैंने भी आज के दिन कुछ आवश्यक कार्य को संपन्न किया तत्पश्चात रामायण का एक प्रेरणादायक प्रसंग देखा।उस प्रसंग को देखने के पश्चात मन में यह विचार आया कि क्यों न आपके समक्ष अपने विचार साझा करूँ उस प्रसंग से संबंधित।
वन गमन के लिए राम जब तैयार होते हैं तो माँ कौशल्या अत्यंत दुखी होती है।आखिर कौन ऐसी माँ होगी जो चाहेगी कि उसका पुत्र कहीं दूर जाए वो भी चौदह वर्ष के लिए।माँ के लिए तो एक पल भी बेटे के बगैर बिताना सौ वर्ष के समान है।माँ कौशल्या पूर्ण प्रयास करती है राम को रोकने की।पर राम को तो धर्म का और पिता की आज्ञा का निर्वहन करना था।माँ की बेचैनी,व्याकुलता माँ की ममता को दर्शाती है।माँ के लिए संतान से प्रिय कुछ भी नहीं है।माँ भी राम के साथ चलने की जिद करती है।इस वाकया से हमें यह सीख मिलती है कि हालात चाहे कैसे भी हो मगर एक माँ सदैव अपनी संतान की देखभाल करती है उसका ख़्याल रखती है बच्चों से बेइंतहा स्नेह करती है।
अब किसी प्रकार भगवान राम माँ को समझाते हैं तो इधर देवी सीता अपने पति के साथ जाने की जिद करने लगती है।राम कहते हैं "सीते वनवास मुझे मिला है तुम्हें नहीं!" सीता कहती है "प्रभु क्या मैं आपसे अलग हूँ?आपकी ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है और आप जब संकट में होंगे तो मैं आपके साथ सदा रहूंगी।"राम मजबूरन सीता को अपने साथ वन ले जाने को विवश हो जाते हैं।देवी सीता से नारी धर्म की सीख प्राप्त होती है।आदर्श पत्नी के समस्त दायित्वों का निर्वहन करना सिखलाती है देवी सीता।हर नारी को देवी सीता से सीख लेनी चाहिए।
उसके पश्चात राम के हर दुःख और सुख में साथ निभाने वाले उनके छोटे भाई लक्ष्मण भगवान राम के साथ जाने के लिए अपनी इच्छा जाहिर करते हैं।भगवान राम बहुत समझाने का प्रयत्न करते हैं।अपने प्रिय भाई लक्ष्मण को पर लक्ष्मण कहाँ मानते वाले थे?आदर्श भाई का साक्षात उदाहरण हैं भगवान लक्ष्मण।आज के दौर में संपत्ति और धन को लेकर हर घर में विवाद है।राम,लक्ष्मण,भरत और शत्रुघन आदर्श भाईयों के उदाहरण हैं इनके चरित्र और व्यवहार को तनिक भी यदि आत्मसात की जाए तो बहुत कुछ बेहतर हो सकती है।घर में संपत्ति और धन को लेकर विवाद कहीं नहीं होगा।
आप भी इन दिनों प्रयास कीजिए कि इस टाइम को सदुपयोग में लाकर कुछ अच्छा सुनें कुछ देखें कुछ अच्छा पढ़ें ताकि सकारात्मक विचार का संचार मन में हो।दूसरे दिन फिर आपके समक्ष लेकर आऊंगा महान धार्मिक ग्रंथ रामायण का प्रेरणादायक प्रसंग।ईश्वर से यही प्रार्थना है कि आप सपरिवार सदा स्वस्थ व ख़ुश रहें।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.