रामायण का प्रेरणादायक प्रसंग

Day-09----लॉकडाउन टाइम का मैंने किया सदुपयोग आप भी कीजिए और कुछ सीख लीजिए!

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 09 Apr, 2020 | 1 min read

मेरे द्वारा लिखित आज का आलेख आपके लिए आपके बच्चों के लिए बेहद उपयोगी है।लॉकडाउन के वक्त हम सभी इस वक्त घर में ही हैं।तो क्यूं न?हम इस टाइम को आवश्यक कार्य में व्यतीत करें।जी हाँ,मैंने आज रामायण का वह प्रसंग देखा जब भगवान राम को वनवास जाने की आज्ञा मिलती है!इस प्रसंग से हम सभी बहुत कुछ सीख सकते हैं।आप तक एक प्रेरणादायक विचार इस प्रसंग को देखने के पश्चात साझा करने जा रहा हूँ।

महाराज दशरथ इस संकोच में थे कि किस प्रकार अपने लाल को वनवास जाने की ख़बर कहूं उनकी आँखें नम थी उस वक्त।माता कैकयी ने वनवास जाने की ख़बर राम को कह सुनाई और इधर महाराज दशरथ रोए जा रहे थे।दशरथ विवश थे।राम ने सहज भाव से कहा" माँ बस इतनी सी बात इसलिए पिता दशरथ इतने चिंतित हैं।माँ मैं अभी वन जाने के लिए तैयार हूँ।राम ने इस बात को बड़े ही सहज भाव से मुस्कुरा कर कहा।हमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम से सीख लेनी चाहिए।उन्हें इस बात का जरा-सा भी दुख नहीं था कि चौदह वर्ष के लिए वन जाना है चौदह वर्ष वन में व्यतीत करना है।उन्हें यह सहर्ष स्वीकार था।पिता की आज्ञा मानना कोई उनसे सीखे।अपने बच्चों को इस प्रसंग को देखने के लिए अवश्य कहिए उन्हें इस प्रसंग में छीपे संदेश को समझाइए।

आज इस वक्त हम सभी को इस प्रसंग से सीख लेनी चाहिए।उधर राम चौदह वर्ष के लिए वन जाने के लिए निःसंकोच तैयार हो गए बिना मुश्किल की परवाह किए बगैर।इधर सरकार हमसे हमारी ज़िंदगी के लिए कुछ दिनों के लिए अपने ही घर में रहने के कह रही है तो कुछ लोगों को यह निर्णय अच्छा नहीं लग रहा है घर में घूटन महसूस हो रही है।जबकि सरकार ने यह निर्णय हमारे हित के लिए लिया है।सोचिए महज कुछ दिन हमें घर में रहना है तो इतनी तकलीफ़ महसूस हो रही है और मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने चौदह वर्ष कैसे गुजारा होगा।कुछ सीख लीजिए इस बात से और अपनी ज़िंदगी बचाइये और इस वक्त घर में रहिए।

इस तरह के प्रेरणादायक प्रसंग अवश्य देखिये,सुनिये बहुत कुछ सीखने को मिलेगी।रामायण में तो ऐसे बहुत सारे प्रसंग हैं जिनसे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलती है आगे रामायण के दूसरे प्रसंग को देखने के पश्चात आपके समक्ष विचार साझा करूंगा।

आलेख के अंत में इतना कहना चाहूंगा अपना ख़्याल रखिये और आप सभी सदा सपरिवार स्वस्थ रहिए यही प्रार्थना ईश्वर से करता हूँ।

धन्यवाद!

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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