स्नेह करती है प्रदान और हर लेती है
अपनी संतान के हिस्से का हर दुःख
कभी भी ख़ुद की ख़ुशी की परवाह
नहीं करती है बच्चों की ख़ुशी के लिए
करती है अपना सर्वस्व समर्पित
हाँ,माँ जैसी इस दुनिया में कोई नहीं है।।
जब जेठ की दुपहरी तपाती है बच्चे को
आँचल से ढ़क लेती है माँ बच्चों को
बच्चे के हिस्से की धूप कर देती है दूर
कभी नहीं करती है परवाह ख़ुद की
बच्चों के चेहरे पर देखना चाहती है ख़ुशी
हाँ,माँ की तुलना नहीं है किसी से भी।।
कपकपाती ठंड हो या हो कैसा भी मौसम
ख़ुद से ज्यादा करती है परवाह बच्चों की
मायूस नहीं देखना चाहती है बच्चों को कभी
परिस्थिति हो कैसी भी मुश्किलों से लड़ती है
ईश्वर से करती है दुआ बच्चों को मिले ख़ुशी सदा
हाँ,माँ की परिभाषा शब्दों में व्यक्त करना सरल नहीं है।।
माँ मैं तुझ पर कुछ लिखूं इतनी ताकत कहाँ है मुझ में
आज जो भी हूँ जहां भी हूँ तेरी वजह से हूँ
तू तो करती है दुआ ईश्वर से बच्चों की सलामती की
आज करता हूँ प्रार्थना ईश्वर से मैं भी
हे ईश्वर! दुनिया की हर माँ रहे ख़ुश सर्वदा
हाँ,आज इस घड़ी मैं दुनिया के हर माँ को बारम्बार प्रणाम करता हूँ।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
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