रामायण का हर प्रसंग हमें कुछ-न-कुछ सीख प्रदान करता है।यदि हम अपने जीवन में उस प्रसंग में निहित विचारों को आत्मसात करें तो यकीनन अभूतपूर्व परिवर्तन आना स्वाभाविक है ज़िंदगी में।आज इस आलेख के माध्यम से आपको बताने का प्रयत्न करूंगा कि किस प्रकार हम अपनी ज़िंदगी में रामायण से कुछ सीख सकते हैं कुछ परिवर्तन ला सकते हैं ख़ुद के अंदर।
लॉकडाउन के समय सभी अलग-अलग तरह से समय को व्यतीत कर रहें हैं।मैं भी इस समय को सदुपयोग में लाने का हर दिन कुछ अलग प्रयास कर रहा हूँ।आपके समक्ष आज एक सकारात्मक विचार साझा करने जा रहा हूँ रामायण देखने के पश्चात।आवश्यक कार्य पूर्ण करने के बाद मैंने आज रामायण का एक प्रेरणादायक प्रसंग देखा देखने के पश्चात बहुत कुछ सीखने और समझने को मिली।मैंने सोचा क्यूं न?आपके समक्ष उन विचारों को साझा करूँ।
राम-लक्ष्मण,भरत-शत्रुघन चारों भाईयों ने दुनिया के समक्ष आदर्श व्यक्तित्व और आदर्श विचार के उदाहरण को प्रस्तुत किया है।आदर्श भाई के प्रति एक आदर्श भाई के निःस्वार्थ भाव से प्रेम को बखूबी निभाने का कार्य किया है राम-लक्ष्मण और भरत-शत्रुघन ने।भरत को जब यह ख़बर पता चली कि भईया राम को माता कैकयी की वजह से चौदह वर्ष के लिए वन जाना पड़ा तो भरत की आँखों से अश्रु की धाराएं बहने लगीं और माता कैकयी पर अत्यंत क्रोधित भी हुए भरत।जिस माँ से आज तक अथाह प्रेम करते थे भरत आज उस माँ के प्रति तनिक भी प्रेम शेष नहीं बचा था।क्योंकि कैकयी की वजह से भरत के प्रिय बड़े भाई राम को वन जाना पड़ा।
बड़े भाई राम,भाभी सीता और लक्ष्मण से मिलने के लिए और उन्हें वापस अयोध्या नगरी लाने के लिए भरत वन के लिए माँओं के साथ और अन्य अनुयायियों के साथ चले गए।यदि भरत चाहते तो अयोध्या में राजा के पद पर विराजमान होकर राज करने लगते पर भाई के प्रति अथाह प्रेम था उनके हृदय में अंतर्मन में।हमें उनसे सीख लेने की ज़रूरत है।आज अधिकांश घरों में संपत्ति को लेकर भाई भाई के दुश्मन बने हुए हैं।इधर भरत त्याग की साक्षात मूरत हैं।हम सभी को उनसे सीख लेना चाहिए।यदि उनके विचारों का अनुसरण किया जाए तो निःसंदेह हमारी ज़िंदगी में परिवर्तन आना तय है।और संसार में कहीं भी संपत्ति,धन,वैभव और ऐश्वर्य को लेकर भाई-भाई के बीच विवाद नहीं होगा।
आलेख के अंत में एक बात कहना चाहूंगा कि इन दिनों का सदुपयोग कीजिए आप भी।कुछ अच्छा देखिये,पढ़िये और सीख लीजिए।मुश्किल चाहे कितनी भी बड़ी क्यूं न हो यदि हम धैर्य से काम लेंगे तो निश्चित ही हमारी जीत होगी।कोरोना रुपी महामारी से हम सभी की जीत अवश्य होगी हमें आत्मविश्वास नहीं खोना है और सावधानी बरतना है।ईश्वर से प्रार्थना है कि आप सभी सपरिवार सदा स्वस्थ व ख़ुश रहें।।
धन्यवाद!
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
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