प्रेम के लिए एक दिन विशेष नहीं अपितु हर दिन होना चाहिए।प्रेम की भावना हमें सदैव रखनी चाहिए।प्रेम के पथ पर चलने वाले सभी मुश्किलों को पार कर सफलता प्राप्त करते हैं।वाणी में मधुरता और भाव विनम्रता एवं प्रेम की भावना यदि हमारे अंदर मौजूद है तो हम सभी का दिल जीत सकते हैं।प्रेम केवल प्रेमिका से नहीं अपितु प्रेम का भाव हमें सभी के प्रति रखना चाहिए।हमें अपने परिवार के सभी सदस्यों से जी भर प्रेम करना चाहिए।साँस न जाने किस पल थम जाए।जब तक साँस है हमें प्रेम न्योछावर करते रहना चाहिए।एक माँ को ही देख लीजिए।अपने बच्चों से बेइंतहा प्रेम करती है।एक सैनिक अपने देश से बेइंतहा प्रेम करते हैं।तो वहीं एक पिता अपनी ख़ुशी की परवाह न कर बच्चों के ऊपर बेइंतहा प्रेम लुटाते हैं।प्रेम साथी से भी किया जाता है।प्रेम के मायने सभी में अलग-अलग है।प्रेम यदि निःस्वार्थ भाव से की जाए तो रिश्ते आजीवन कायम रहते हैं।वहीं प्रेम में जब स्वार्थ की भावना पनप जाती है तो रिश्ते एक पल में बिखर जाते हैं।प्रेम की भावना सभी के प्रति हमें रखना चाहिए।एक माँ निःस्वार्थ भाव से अपनी संतान से प्रेम करती है।तो हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम वृद्धावस्था में माँ का पूरा ख्याल रखें।पिता त्याग की मूरत होते हैं।ख़ुद की ख्वाहिश की आहुति देते हैं बच्चों की ख़ुशी के लिए।हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम पापा का पूरा ख्याल रखें।जिस तरह पापा हम पर प्रेम न्योछावर करते हैं उसी तरह हमें भी उनकी मदद करनी चाहिए उनका साथ देना चाहिए।प्रेम की सच्ची परिभाषा शब्दों के माध्यम से व्यक्त कर पाना सरल नहीं है।हमें सदैव अपने भीतर प्रेम की भावना जीवित रखनी चाहिए।हम हर रिश्तों को निभा सकते हैं व हर पत्थर दिल वाले इंसान के हृदय को भी जीत सकते हैं।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित, अप्रसारित
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