नारी!हाँ नारी ही है जो देती है जन्म नर कोफिर वही नर क्यूं करता है प्रताड़ित हर नारी को?क्यूं हर बार भूल जाता है नर नारी की उदारता? क्यूं भूल जाता है नर कि वो नारी ही है जिसकीवजह से है उसका अस्तित्व?
नारी!हाँ नारी के बिन नर का कोई अस्तित्व ही नहीं हैबिन नारी के हर आँगन है सूनाबिन नारी के कुछ भी है संभव कहाँफिर भी नर हर बार नर क्यूंकरता है कुकर्म और नारी कोकरता है अपमानित और प्रताड़ित?
नारी!हाँ नारी से ही तो सृष्टि सारीदेवी मानी जाती है हर एक नारीतो इस घोर कलयुग में क्यूं हैकुछ नर का मन काला?क्यूं भूल जाते हैं इंसानियत कुछ नर?करते हैं शर्मसार मानवता कोकुकृत्य करते हैं कुछ नर क्यूं आज?
नारी!नारी ही तो है माँ जो अपनेबच्चों को अंतिम साँस तक करती है बेइंतहा प्रेमनारी ही तो है वो बहन जोजब तक पिया के आँगन नहीं जातीतब तक अपने भाईयों के हर जरुरतों का रखती है ख़यालनहीं भूलनी चाहिए हमें किनारी से ही है सृष्टि सारी।।
नारी!हाँ नारी ही तो है वो बेटी जोकरती है दो कुलो का नाम रोशनरखती है ख़याल परिवार के हर सदस्य कीससुर को पिता और सास को माँ मानती हैरखती है ख़याल घर के हर सदस्य कीहाँ नारी के बिन सचमुचहै घर का हर कोना सूना।।
©कुमार संदीपमौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित, अप्रसारित
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