चलो इस होली कुछ अलग करें

HOLY SPECIAL ARTICLE (होली विशेष आलेख)

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 28 Feb, 2020 | 1 min read

ख़ुशियाँ ख़ुद तक सीमित नहीं रखना चाहिए।हमें हर संभव प्रयास करना चाहिए कि हमारी वजह से दूसरे भी ख़ुशी से रहें।कोई भी त्योहार अपार ख़ुशियाँ लेकर हमारे समक्ष आता है।पर बेसहारों और निर्धन परिवार के लिए हर दिन एक समान ही होता है।

होली यानी ख़ुशियों और रंग बिरंगे रंगों का त्योहार।होली आने के एक महीने पहले से ही होली की तैयारियां प्रारंभ हो जाती है।बाजार रंग और गुलाम से सज़ जाता है।पर कहीं-न-कहीं किसी के जीवन में उस दिन उदासी ही रहती है।गरीब परिवार के लोग त्योहार अच्छे से नहीं मना पाते हैं पैसों के अभाव में।

ज़िंदगी की जद्दोजहद में पेट की भूख पूरी कर पाना ही उनके लिए मुश्किल होता है।तो ऐसे में कैसे होली और दीवाली जैसे पावन और ख़ुशियों का त्योहार वे मना सकेंगे।उनके जीवन में तो हर दिन संघर्ष है।

होली के पावन दिन हमें न केवल अपने घरों में रंगोत्सव का त्योहार मनाना चाहिए।अपितु उन बेसहारों के विषय में ही सोचना चाहिए।एक बार यह अवश्य सोचिये कि आज हमारे घर में तो ढ़ेर सारे पकवान बन रहें हैं पर फुटपाथ पर ज़िंदगी गुजारने वाले और खेत खलिहानों में काम करने वाले,अनाथ बच्चे उनकी होली कैसे मन रही होगी।यकीन मानिए आपको अच्छा नहीं लगेगा।यदि आप के अंदर कहीं-न-कहीं इंसानियत है।एक प्रण लीजिए और यथासंभव उस दिन ही सही होली उन बेसहारों के साथ मनाइये।यकीन मानिए आपको बहुत सुकून और ख़ुशी महसूस होगी।और उन बेसहारों के लिए ख़ुशी की बात तो होगी ही।

होली तो ख़ुशियों का त्योहार है तो ख़ुशियाँ केवल ख़ुद के लिए नहीं सभी के लिए होनी चाहिए।प्रेम और स्नेह सभी के प्रति रखना चाहिए।इस दिन जाकर उन बेसहारों के साथ होली मनाएं जो अत्यंत गरीब हैं जिनके हिस्से में दो वक्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से मिलती है।असल मायने में उस दिन आपकी होली अच्छे से मनेगी।।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित, अप्रसारित

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