बात जब ज़िंदगी की हो
तो कभी-कभी कुछ त्याग
करना पड़ता है,हाँ जब बात
ख़ुद की और अपनों की सुरक्षा
की हो तो कभी-कभी
घर में रहना अच्छा है
हाँ इस वक्त घर में रहना ही
है हमारे हित में सही!!
तन तपाते थे जो कड़ी धूप में
करते थे कड़ी मेहनत हर वक्त
आज वे भी है घरों में अपनों की ख़ातिर
अपने प्राण की ख़ातिर
ज़िंदगी तो है अनमोल सभी के लिए
हाँ कभी-कभी घर में ही रहना है
बेहतर सभी के लिए
क्योंकि ज़िंदगी है सचमुच अनमोल सभी के लिए।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित
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