कोरोना वायरस का प्रभाव दिन-ब-दिन बढता ही जा रहा है।चहुंओर अफरातफरी मची हुई है।मजदूर मजबूर है दो वक्त की रोटी के लिए।निर्धन परिवार दर-बदर की ठोकर खाने को मजबूर है।सभी ओर की स्थिति देख आँखों से आँसू छलक जाते हैं।पर हम सभी मजबूर और बेबस हैं इस वक्त हमें धैर्य और साहस से संकट की इस घड़ी से लड़ना है।
सरकार हमारी सुरक्षा के लिए निरंतर प्रयासरत है।और हमसे बार-बार अपील कर रही है कि हम घर से बाहर न जाएं घर में ही रहें।सोशल डिस्टेंसिंग अर्थात सामाजिक दूरी बनाएं रखने के लिए सरकार बार-बार हमसे अपील कर रही है।सामाजिक दूरी देश के हित के लिए आवश्यक है।हमें इस अपील को आत्मसात करने की ज़रूरत है अन्यथा दिन-ब-दिन स्थिति और ज्यादा गंभीर हो जाएगी।घर में रहना ही इस वक्त राष्ट्र के हित में है और हमारे हित में भी।
आने वाले कल की कल्पना तभी की जा सकती है जब हम आज सही निर्णय लें और आवश्यक कदम उठाएं।आज हमें धैर्य और अनुशासन के दायरे में रहकर निर्णय लेना है ताकि हम कल फिर से बाहर घूम सकें और अपने काम कर सकें।सरकार की यही अपील है कि इस वक्त घर में ही रहा जाए यदि कोई अति आवश्यक कार्य न हो तो घर से नहीं निकला जाए।हमें इस बात को गंभीरता से लेकर अपने आप को और अपनों को बचाना है।
घबराने की बजाय धैर्य और साहस से काम लेने की ज़रुरत है इस वक्त।चिंता तनिक भी मत कीजिए बस अपना पूरा ख़्याल रखिए और अपनों का भी।यथासंभव प्रयास कीजिए कि यदि सड़क किनारे या आपके घर के आसपास में कोई भूखा भूख से बिलख रहा है रो रहा है तो उसे भोजन दीजिए।दूसरों की मदद करने की अत्यंत ज़रूरत है इस वक्त।आलेख के अंत में बस इतना कहना चाहूंगा कि आप धैर्य न खोएं बुरे वक्त की आयु लम्बी नहीं होती है फिर से अच्छा वक्त आएगा और हम सभी खुलकर जीवन जीएंगे।
धन्यवाद
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित
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