गौरैया रानी

20 मार्च-विश्व गौरया दिवस

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2025
Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 20 Mar, 2020 | 1 min read

पंख फैलाए उड़ती थी आसमां में
घर आँगन में आती थी हर दिन
बच्चे भी खेलते थे गौरैया के संग
हाँ आज कहीं हो गई गुम गौरैया
शायद ही कहीं दिखती है आज गौरेया।।

मन लुभाती थी सभी का गौरैया रानी
मुन्ना और मुनिया को भी थी पसंद
गौरैया के संग खेलती थी मुनिया मन भर
आज करती है याद गौरैया को पर
आज शायद ही कहीं दिखती है गौरैया।।

इंसानों को सिखलाती थी गौरैया ज्ञान
इंसान थककर हारकर मत बैठना कभी
आसमां छूने की चाह रखना हर वक्त
परिवार से करना सदा प्रेम तुम सब
काश!आज हर जगह होती गौरैया रानी।।

हर जगह आज नहीं दिखती है गौरैया रानी
दोषी है कहीं-न-कहीं इसके लिए हर प्राणी
काश! होती आज यदि हर जगह गौरैया रानी
देती सुंदर संदेश सभी को गौरैया रानी
बच्चे भी खेलते झूम झूमकर गौरैया के संग।।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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