हे मजदूर!
हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत
आपको सादर नमस्कार!
पत्र के माध्यम से आपको क्या लिखूं? कुछ भी सूझ नहीं रहा है लिखने को! या यूं कहूं कि मेरे शब्दकोश में शब्द ही नहीं है आपके विषय में कुछ लिखने के लिए। जैसे ही हालात सामान्य होती है मेरा पूर्ण प्रयास रहेगा कि आपके सम्मुख जाकर आपकी आप बीती सुनूं। आपसे मिलना चाहता हूँ आज न सही पर कल ज़रूर जब हालात सकुशल हो । मेरी इतनी सामर्थ्य,शक्ति तो नहीं है कि इस वक्त आपके हिस्से के गम को दूर कर सकूं पर ईश्वर से सोते जागते बस इतनी ही प्रार्थना करता हूँ कि आपके जीवन से शीघ्रातिशीघ्र दुःख दूर हो जाए व आपके जीवन में फिर से ख़ुशियां वापस लौट आए।
प्रतिदिन समाचारपत्रों के माध्यम से टेलीविजन के माध्यम से देखता हूँ आपको। जब मीडियाकर्म पूछते हैं आपसे सवाल उस वक्त आपकी आँखों में मायूसी के आंसू साफ-साफ दिखाई देते हैं। सचमुच उस क्षण आँखों से वो दृश्य देख हृदय सिहर जाता है। और फिर से ईश्वर से एक ही प्रार्थना करता करता हूँ कि हे ईश्वर! जल्द-से-जल्द दूर कर दीजिए इनके जीवन से दर्द,तकलीफ। सुकून के छांव पाने के लिए शहर से गाँव पहुंचने के लिए आप हजार किलोमीटर की दूरी भी पैदल तय कर रहे हैं। आपके पाँवों में छाले-ही छाले हैं। फिर भी आपकी हिम्मत टूटी नहीं है। आप चल रहे हैं फिर भी निरंतर। दुःख महसूस करने मात्र से रुह काँप उठती है। और फिर से एक ही प्रार्थना करता हूँ भगवान से कि हे ईश्वर अब माफ भी कर दीजिए, इन्हें इनका क्या कसूर? प्रभु! जल्द दूर कर दीजिए इनका दुःख।
आगे कुछ भी और लिख पाने में मैं असक्षम हूँ। बस यही कामना करता हूँ ईश्वर से कि आपके जीवन से दुःख के बादल जल्द दूर हो जाए।
©कुमार संदीप
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