जन्म लिया है जिसने
उसकी मृत्यु निश्चित है
इस अकाट्य घटना से
अवगत हैं सभी, फिर भी
कुछ इंसान समझते हैं
स्वयं को सर्वश्रेष्ठ
करते हैं कुकृत्य हर वक्त।।
ख़ुद को सर्वश्रेष्ठ का दर्जा देना
दूसरों को तुच्छ समझना
स्वंय के हित हेतु, दूसरों का
नुकसान पहुंचाना
है नहीं इंसानियत की परिभाषा
है वही इंसान जो मुश्किल वक्त
में आए सदा दूसरों के काम।।
मरना है एक दिन निश्चित ही
अवगत हैं हम सब इस बात से
तो फिर किस बात का शिकवा-गिला
है अपनों से करीबियों से
मिटाकर समस्त मतभेदों को
हमें रहना चाहिए सदा मिलजुलकर
अपनत्व की परिभाषा स्मरण रखना चाहिए सदा।।
धन और दौलत से नहीं बनता है
इंसान सबसे महान, सबसे सर्वश्रेष्ठ
इंसान बनता है महान
सत्कर्मों से सुंदर विचार व व्यवहार से
इसलिए हमें अपार दौलत, धन अर्जित
करने हेतु नहीं, बल्कि
आदर्श इंसान बनने हेतु प्रयास करना चाहिए सदा।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
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