दूर गगन में जाने वाले
हर पल बहुत याद आने वाले
तुमको यह बताऊं कैसे
अपनी बात तुम तक पहुंचाऊं कैसे
घर का हर खिलौना तुम्हारी याद दिलाता है
होले से कुछ मेरे कानों में कह जाता है
अलमारी पर रखा घोड़ा जैसे करता हो पुकार
एक बार तो वापस आजा यार
अपने इस मन को मनाऊं कैसे
पागल दिल को समझाऊं कैसे
तुम्हारी याद तो बहुत आती हैं
इन यादों से मेरा चंचल मन करता हैं गुहार
मेरे भाई को वापस ला दे न एक बार
जोर से झापड़ लगाना है
जी भर के चिल्लाना है
ऐसे भी कोई जाता हैं क्या
अपनो को यू सताता हैं क्या
अपने गले से उसको लगाना हैं
बहुत सारा प्यार उसपे लुटना हैं ।
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