बरखा रानी

बरखा रानी आओ, धारती की प्यास बुझाओ

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Jyoti Mishra
Jyoti Mishra 21 Jul, 2022 | 1 min read
#poem



उमड़-घुमड़ घनघोर घटा ,

चमक-दमक गरजी बिजुरीया ...


मंद-मस्त बादल झूमते ,

संग हवा के उड़ते जायें ....


राह तकती , प्यासी धरती ,

ताक रही , आस लगाए ....


सूखी नदियाँ , सूखे झरने ,

प्यासे हैं , सब प्राणी ....


अब तो बरसो , बरखा रानी ,

क्यों सूखी गरज पर तरसाती हो...


गरज-गरज कर शोर मचाती ,

बिन बरसे , गुजर जाती हो ...

.

सुन धरती की पुकार ,

बादल संग गरजी बिजली...


झमझमा कर बरखा बरसी ,

धरती की प्यासी झोली भर दि ....


झरझर बहते झरने 

कल-कल बहती नदियां ...


चारों और हरियाली छाई ,

वंसुधरा देखो मुस्काई ....


उमड़-घुमड़ घनघोर घटा ,

चमक-दमक गरजी बिजुरिया ....


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Jyoti Mishra

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