बरखा रानी

बरखा रानी आओ, धारती की प्यास बुझाओ

Originally published in hi
Reactions 2
340
Jyoti Mishra
Jyoti Mishra 21 Jul, 2022 | 1 min read
#poem



उमड़-घुमड़ घनघोर घटा ,

चमक-दमक गरजी बिजुरीया ...


मंद-मस्त बादल झूमते ,

संग हवा के उड़ते जायें ....


राह तकती , प्यासी धरती ,

ताक रही , आस लगाए ....


सूखी नदियाँ , सूखे झरने ,

प्यासे हैं , सब प्राणी ....


अब तो बरसो , बरखा रानी ,

क्यों सूखी गरज पर तरसाती हो...


गरज-गरज कर शोर मचाती ,

बिन बरसे , गुजर जाती हो ...

.

सुन धरती की पुकार ,

बादल संग गरजी बिजली...


झमझमा कर बरखा बरसी ,

धरती की प्यासी झोली भर दि ....


झरझर बहते झरने 

कल-कल बहती नदियां ...


चारों और हरियाली छाई ,

वंसुधरा देखो मुस्काई ....


उमड़-घुमड़ घनघोर घटा ,

चमक-दमक गरजी बिजुरिया ....


2 likes

Published By

Jyoti Mishra

Jyotimishra

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.