उमड़-घुमड़ घनघोर घटा ,
चमक-दमक गरजी बिजुरीया ...
मंद-मस्त बादल झूमते ,
संग हवा के उड़ते जायें ....
राह तकती , प्यासी धरती ,
ताक रही , आस लगाए ....
सूखी नदियाँ , सूखे झरने ,
प्यासे हैं , सब प्राणी ....
अब तो बरसो , बरखा रानी ,
क्यों सूखी गरज पर तरसाती हो...
गरज-गरज कर शोर मचाती ,
बिन बरसे , गुजर जाती हो ...
.
सुन धरती की पुकार ,
बादल संग गरजी बिजली...
झमझमा कर बरखा बरसी ,
धरती की प्यासी झोली भर दि ....
झरझर बहते झरने
कल-कल बहती नदियां ...
चारों और हरियाली छाई ,
वंसुधरा देखो मुस्काई ....
उमड़-घुमड़ घनघोर घटा ,
चमक-दमक गरजी बिजुरिया ....
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