बेबी होने के बाद, सपना ने अपना इवेंट प्लानिंग का बिज़नेस होल्ड पर डालकर कुछ दिनों के लिए बाहर के कामों से रेस्ट ले लिया। लेकिन 6 महीने बाद ही उसे उकताहट सी होने लगी । सपना का मन बच्चे और परिवार में जितना लगता, उतना ही उसे खुद के लिए भी कुछ अलग करने का मन करता । लेकिन कोई रास्ता नही सूझ रहा था कि घर बैठे , बिना बाहर जाए, परिवार और बच्चे का ख्याल रखते हुए भी, वो ऐसा क्या कर सकती है जो उसे संतुष्ट कर सके।
एक दो बार, घर परिवार में सबके सामने बात रखी। पति से भी कहा तो सबका यही कहना था, कि पहले बच्चे पर ध्यान दो। अपने लिए तो करने को, पूरी उम्र पड़ी है।
ये बात समझ में तो आती थी कि बेबी का ध्यान रखना सबसे जरूरी है लेकिन फिर भी खुद को किस चीज़ से खुशी मिलती इसकी, भूख भी मिटानी जरूरी थी। वो कुछ ऐसी ही ऊहापोह में थी कि एक दिन सपना को, ऑनलाइन ब्लॉगिंग के बारे में पता चला।
थोड़ा रिसर्च किया तो उसको लगा, वो ये काम कर सकती है। शुरुआत में फ्री ऑनलाइन पोर्टल और सोशल साइट्स पर लिखना शुरू किया । धीरे - धीरे सपना के लेखन में, निखार आने लगा। सोशल मीडिया पर उसके लेखन को पहचान मिलने लगी। सब तारीफ करते न थकते। सपना भी काफी उत्साह पूर्वक, व्यस्त रहते हुए भी अपने शौक़ के लिए वक़्त निकालना सीख गई थी।
सपना को अब अपने खुद के पर्सनल ब्लॉगिंग वेबसाइट की जरूरत महसूस हो रही थी। लेकिन इन सब के लिए थोड़ा इन्वेस्टमेंट भी था। घर में उसकी ननद की शादी भी करीब थी तो पहले ही, घर में काफी ख़र्चा लगा हुआ था। घर में सभी के कपड़ो की शॉपिंग और जरूरत का सामान खरीदा जा रहा था।
सपना की सासू माँ ने उससे पूछा, सपना बेटा, तुम्हें क्या पहनना है शादी में? तो सपना की ननद रिया ने उसके कुछ बोलने से पहले ही कह दिया , अरे माँ, भाभी ने तो कब से प्लान करके रखा था कि मेरी शादी में, वो लहँगा पहनेगी ।
तो ठीक है कल तुम भाभी के साथ शॉपिंग के लिए चली जाना । बेबी को मैं, घर पर सम्हाल लूंगी। सपना की सास ने बेबी को गोदी में लेते हुए बोला।
अगले दिन रिया और सपना, जब शॉप पर लहँगा देखने गए तो सपना को कोई भी डिज़ाइन और रंग पसंद नही आ रहा था। रिया ने तो कह भी दिया,भाभी क्या हो गया आपको। आप कुछ परेशान हो क्या? इतना अच्छा लहँगे का कलेक्शन भी, आपको नही पसंद आ रहा। फिलहाल उस दिन बिना शॉपिंग के ही, सपना अपनी ननद रिया के साथ घर आ गयी।
उसी दिन,रिया ने रात में अपने पति अर्पित से बात करने की ठानी। डिनर के बाद रिया ने अर्पित से पूछा, कि अगर वो रिया की शादी में, खुद के लिए लहँगा न ले तो क्या मुझे लहँगे के पैसे मिल जाएंगे।
अर्पित को बात अजीब लगी, तो उसने पूछा - फिर तुम क्या पहनोगी।
मेरे पास पहले से ही, लहँगा साड़ी है। वो भी काफी डिज़ाइनर हैं। सपना ने अपनी बात रखी।
लेकिन तुम्हे पैसे को क्या करना है। अर्पित ने एक और सवाल दागा।
मैं, खुद की एक ब्लॉगिंग वेबसाइट में इन्वेस्ट करना चाहती हूँ जिसका ख़र्चा एक लहँगे की कीमत के लगभग बराबर हैं। सपना ने अपनी बात पूरे आत्मविश्वास से रक्खी।
लेकिन ये सब तो तुम बाद में भी कर सकती हो। 2 -3 महीने बाद में तुम्हे इसके लिए भी पैसे दे दूँगा। अर्पित ने सपना को समझाते हुए कहा।
नही अर्पित, अभी नही तो कभी नही। सपना ने जो इस बार बोलना शुरू किया तो जैसे रुकना ही भूल गयी ।
मैंने पहले ही बहुत इंतज़ार किया है, अब और नही । सच बताऊँ तो मेरे लिए लहँगा या कोई भी कीमती चीज़ इतना महत्व नही रखती जितना कि खुद के शौक़, जोश और जुनून को जिंदा रखना। लेखन ने मुझे पहचान दी है और मेरे आत्मविश्वास को पुनर्जीवन। मैं अब अपने सपनों के साथ समझौता नही करना चाहती।
अब तक अर्पित ने भी सपना की बाते सुनते - सुनते अपना सिर , उसकी गोद में रख दिया था। लेकिन सपना ने अपनी बात जारी रखी।
सपना ने अर्पित के सिर को सहलाते हुए बोला, जानते हो अर्पित , परिवार का भरोसा , प्यार और अपनापन
ही मेरी सबसे बड़ी पूंजी है जिसके दम पर, मैं बेहिचक अपने सपनो की उड़ान भर रही हूँ। घर के काम में , घर के सदस्यों का सहयोग ही मुझे मेरे लेखन को अधिक से अधिक समय देने में मदद करता हैं।
मेरे लेखन के काम और प्रयास को जब परिवार समेत और कई लोग सराहते है तो मेरा मन और मस्तिष्क खुशी और उल्लास से भर जाता है।
अर्पित, मुझे लहँगा नही, मेरा लक्ष्य चाहिए। मेरा लक्ष्य ही मेरी प्राथमिकता हैं। मुझे, मेरी मंजिल तक पहुँचने में, तुम्हारा छोटा से छोटा योगदान मेरी जिंदगी की बड़ी से बड़ी खुशियों की सौगात होगी।
अर्पित अब तक समझ चुका था कि सपना को रोकना मुश्किल ही नही, नामुमकिन है। उसने धीरे से अपना फ़ोन उठाया और नेट बैंकिंग से सपना के एकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दिये।
सपना ने मोबाइल पर मैसेज चेक किया तो सरप्राइज हो गयी । ये तो काफी ज्यादा हैं, वो थोड़ा उत्साहित होकर, अर्पित से बोली।
हाँ, बस ये समझ लो, तुम्हारे सपनों के साथ, ये लहँगा, बोनस ऑफर हैं। अर्पित ने सहजता से कहा और सपना से पूछा तुम्हें किसी ने बताया कि तुम अच्छा लिखने के साथ - साथ अच्छी वक्ता भी हो।
सपना ने कहा - नहीं । इस सेलिब्रिटी के तुम पहले फैन हो और कमरा,दोनो की हँसी से गूंज उठा।
...
मेरी कहानी में तो सपना के दिल का रास्ता , अर्पित ने आखिकार पहचान ही लिया। पर आपके दिल का रास्ता क्या है, आप भी सोच के देखे।
दोस्तो फिर मिलूंगी अगली बार एक नही सोच और कहानी के साथ। तब तक अपना खूब सारा ख्याल रखे।
- आपकी अपनी इंदू "इंशैल"
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