हां मैंने गांव देखा है।
चिड़ियों की चहचहाहट, कोयल की कुहू कुहू
मस्ती में लहराते, पेड़ों का संगीत किया महसूस।
ट्यूबवेल और तालाब के पानी में नहाकर,
छप छप करते बच्चों को, बारंबार देखा है।
हां! मैंने गांव देखा है।
रविवार के दिन रामायण और श्री कृष्णा का अवतार।
चित्रहार के साथ गुनगुनाते हुए, लोगों का प्यार।
फिर जादुई अलिफ लैला का रात में इंतजार।
और बिजली कट जाने पर,
आंखों में पसरी मायूसी, का जाम देखा है।
हां! मैंने गांव देखा है।
सुबह होते ही हो झाड़ू की सर सर।
हैंडपंप चलाने की आवाज कहीं तो
अनाज पछोरने की छर छर।
कभी मंदिर में गूंज, शंख की तो
कभी सुबह - शाम की अजान।
वह मई से जून महीने तक
अमराई को बनते, आम देखा है।
हां! मैंने गांव देखा है।
बिजली आने का इंतजार
गिनती कहकर करना।
आ जाए तो ईश्वर का शुक्रिया,
ना आए तो पावर हाउस को गालियां।
वह टीवी देखने की होड़ में,
सबसे आगे बैठने का हट, कई बार देखा है।
हां! मैंने गांव देखा है।
वह पूजा-पाठ में,घर को गोबर से लीपना।
वह सुराही और घड़े के, मीठे पानी का मजा लेना।
खुले आसमां के नीचे, तारों से बातें करना।
दादी और बाबा की कहानियों के साथ,
जलते हुए जुगनू के, दीपक को पकड़ना।
कभी तेज गरज के बरसे, तो भागे छत से नीचे
ऐसी वक्त बेवक्त की आंधी - बयार देखा है।
हां! मैंने गांव देखा है।
वह कई किलोमीटर दूर
स्कूल, साइकिल से जाना।
अगर सीख रहे हो तो कैची,
और ना आए तो पीछे कैरियर
पर बैठ जाना, तो कभी
आगे डंडे पर बैठकर, शरारत में
साइकिल की घंटी बजाना।
तो कभी,दोनों हाथ छोड़कर
थोड़ी दूर तक,साइकिल चलाना।
शाम को आकर खेलने के वक्त,
हंसी और ठहाकों की चौपाल देखा है।
हां! मैंने गांव देखा है।
©इंदू इंशैल
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
खूबसूरत रचना
Thank you Sandeep jee
वाह....बढ़िया ।
हां... मैने भी गांव देखा है..!
हाँ....देखा है आपके साथ,👌👌
Thank you Nidhi, Neha and Sonnu jee
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