वैसे तो हम शायर नही
पर बातें बहुत करते हैं
जो शाम कटे मधुशाला में
तो गजल हवा में लिखते हैं।
तेरी आँखों के मय में,
हैं डूबे अक्सर करके हम
तेरी बातो को नशा यूँ
वश में ले जैसे कोई हमदम।
अब कहाँ नशे की तलब उसे
जो जाम तुम्हारा पी ले
मिल जाए जन्नत कदमो में
जो खुद को तुम में जी ले।
है ऐब नही कोई मुझमे
बस लगी तुम्हारी आदत है
तू खुद में ही एक मधु शाला
बंदा करता तेरी ईबादत है।
©इंदू इंशैल
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Khoobsurat
Thank you Shah talib
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