मुझे खुद के हौसले
पर बेहद ग़ुरूर है।
मैं छू दूँ जो काम
वो होने को मज़बूर है।
मुझे खुद के हौसले
पर बेहद ग़ुरूर है।
मिट्टी को कर दू सोना
हँसने मे बदल जाये रोना
हालात को बदलने का सुरूर है ।
मुझे खुद के हौसले
पर बेहद ग़ुरूर है।
बुलंदियों पे पाने
की चाहत है।
लक्ष्य पर पहुंँचने
की आहट है।
समन्दर की गहराइयों
को भी छू लेने का फितूर है।
मुझे खुद के हौसले
पर बेहद ग़ुरूर है।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Well-done dear,😘😘😘
Thank you neha
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