अगर मैं डॉक्टर होती, तो मेरा लोगों का इलाज करना, बीमारियों से उनका बचाव करना, और सही समय पर उचित दिशा निर्देश देना ही, सर्वोपरि कर्तव्य होता।
मैं शहर की डॉक्टर होती या गांव की, मैं अमीर का इलाज करती या गरीब की, मैं राह चलते हुए किसी जरूरतमंद की स्वास्थ्य संबंधी मदद करती या घर परिवार की, मेरा मुख्य ध्येय यही होता कि मैं उनको रोग संबंधी परेशानियों से राहत दूँ। उनकी बीमारी का इलाज कर उनको प्रसन्नता प्रदान करू और उनके शारीरिक समस्या का समाधान दूँ।
दौर महामारी का होता या रोज की दिनचर्या का, वक्त, बेवक्त रात हो या दिन, हर समय मैं अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान और ईमानदार रहती। मैं तत्परता के साथ समाज के भलाई के लिए सेवारत रहती।
हमारे देश का गरीब और अशिक्षित वर्ग कई बार सिर्फ पैसों की कमी की वजह से नहीं, पर जानकारी का अभाव होने की वजह से इलाज नहीं करवा पाते हैं।क्योंकि हमारी सरकार भी बहुत सारी ऐसी योजनाएं चला रही हैं, जिसमें गरीबों को इलाज के लिए, पैसे देने की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन जानकारी का अभाव होने के कारण वह सही समय पर, उचित उपचार से वंचित रह जाते हैं।
देश मैं शहर की जनता हो या गांव की, दोनों ही स्वास्थ्य शिक्षा के अभाव में, बहुत सारी निशुल्क व्यवस्थाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं। डॉक्टर होने के नाते मैं अपने आसपास के समाज को स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों, उपलब्धियों और सेवा के बारे में शिक्षित करती जो निम्न प्रकार हैं।
1. प्रथम स्वास्थ्य चिकित्सा की जानकारी:
प्रथम चिकित्सा, प्रथम उपचार के नाम से भी जाना जाता है । यह तत्कालीन उपचार का एक महत्वपूर्ण अंग है। प्रथम उपचार बहुत ही जरूरी स्वास्थ्य शिक्षा है, जो समाज के हर परिवार के लिए आवश्यक है। मैं हर परिवार से आग्रह करती कि कम से कम एक व्यक्ति या एक महिला और एक पुरुष, इस शिक्षा में अवश्य भाग ले।
मैं हफ्ते में 2 दिन निकाल कर उन सभी को प्राथमिक उपचार के बारे में जानकारी देती जिससे तत्कालीन चिकित्सा के लिए, कभी कोई देरी ना हो और जब मरीज डॉक्टर के पास पहुंचे तो उसे डॉक्टर के इस कथन को, " कि आपने मरीज को लाने में देरी कर दी" का सामना ना करना पड़े और ना ही डॉक्टर को, इलाज को आगे बढ़ाने में कोई अड़चन आए।
इसी प्रकार पशु पक्षी प्रेमी और जानवरों को पालने वाले परिवार के लिए भी जानवरों से संबंधित प्रथम चिकित्सा का ज्ञान रखना जरूरी है। जिससे वो अपने पालतू जानवरों का ज्यादा अच्छे से ख्याल रख पायेगें और पूरे मन से उनकी सेवा कर सकते हैं। ऐसे परिवारों को भी मैं तत्कालीन चिकित्सा के बारे में जानने के लिए प्रोत्साहित करती और पशु चिकित्सक को अपने चिकित्सालय मैं आमंत्रित कर उन्हें लोगों को चिकित्सा शिक्षा देने के लिए अनुरोध करती।
एक बार प्रथम चिकित्सा/ तत्कालीन चिकित्सा, अगर एक परिवार का अभिन्न अंग बन जाता है तो आने वाले नई पीढ़ी अपने आप, घर के बड़ों से सीख कर इसमें निपुण होती जाएगी। और मैं एक डॉक्टर के तौर पर यह प्रथम बीज हर घर में बोने की कोशिश करती।
2: निशुल्क सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी:
मैं अपने चिकित्सा शिक्षा अभियान के तहत लोगों को इस बारे में जानकारी देती कि कैसे आप सरकार द्वारा चलाए गए निशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं को, अपने लाभ के लिए प्रयोग करें। कोई गर्भवती महिला हो, या कोई बुजुर्ग व्यक्ति या फिर कोई घटना जिसमें किसी मनुष्य की क्षति हुई हो। एक फोन करने पर हमें एंबुलेंस की सुविधा मिल जाती है पर अक्सर लोगों को इसकी जानकारी ना होने पर, लोग घबरा जाते हैं और रोगी या पीड़ित व्यक्ति बहुत देर में अस्पताल पहुंचता है।जिससे डॉक्टर भी उस पीड़ित व्यक्ति सहायता नहीं कर पाते। मैं ऐसी हर स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्थाओं के बारे में लोगों को जागरूक करती।
ऐसे ही निशुल्क दवाओं और जांच की जानकारी का ब्यौरा भी, सभी तबके के लोगों को समझाती जिससे उन्हें स्वास्थ संबंधी हर प्रकार की समस्या में राहत मिलती।
सरकार द्वारा दिए जा रहे निशुल्क, गर्भवती महिलाओं के लिए और उनके बच्चों के लिए पोषाहार, स्वास्थ्य पोषण शिक्षा, स्वास्थ्य जांच एवं टीकाकरण की सुविधा का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने के बारे में जानकारी देती।
4: सफाई एवं प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले आहार की जानकारी
एक डॉक्टर होकर, मैं सभी को समझाती, कि दवा से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है साफ-सफाई और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना। सबसे बड़ी सुरक्षा है रोग ना होने पाए। यही सबसे बड़ा इलाज है।इसके लिए मैं अपने यहां आए हुए हर मरीज को बुनियादी साफ-सफाई और रोग रोधक क्षमता को बढ़ाने के मूलभूत नियमों और अच्छी आदतों को बतलाती कि अगर आप साफ-सफाई रखेंगे तो बहुत सारी बीमारियां आपके घर परिवार में किसी व्यक्ति को भी छू नहीं सकती। क्योंकि बार-बार छोटी-छोटी बीमारियों से ग्रसित होने पर व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और उसके कारण बड़ी बीमारियों के होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। इसीलिए बचाव की सबसे बड़ा इलाज है और इसकी महत्ता को मैं हर व्यक्ति को समझाती।
5: शारीरिक शिक्षा के साथ-साथ मानसिक चिकित्सा पर जोर
एक डॉक्टर के तौर पर, मैं सभी मरीजों को बताती कि जैसे स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग का वास होता है। उसी प्रकार एक प्रसन्न मन, एक स्वस्थ शरीर को बनने में और उसके विकास में मदद करता है। अगर आप मन से खुश रहेंगे, अच्छा सोचेंगे और आशावान बने रहेंगे तो आपको दवाओं का भी दुगना परिणाम मिलता है।लेकिन अगर आप अंदर से चिंतित है, परेशान है, तो दवाएं भी अपना काम करना बंद कर देती हैं।
बहुत सारी बीमारियां जैसे कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय घात जैसी समस्या अक्सर मानसिक रूप से असंतुष्ट और परेशान वाले रहने वाले व्यक्ति को आसानी से पकड़ लेती हैं।
मैं समाज के सभी व्यक्तियों को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करती। मैं निरंतर रोगियों के आत्मविश्वास को बढ़ाती रहती जिससे वह जल्दी से ठीक हो कर, अपने साथ-साथ दूसरों के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत बनते।
6: एक डॉक्टर होने के साथ-साथ एक जिम्मेदार नागरिक
मेरा यह मानना है कि अगर आप किसी व्यक्ति विशेष का उपचार करने के साथ-साथ, उसे यह भी सिखा दें कि बीमारियों को बढ़ने से कैसे रोका जाए और किसी व्यक्ति विशेष को कोई बीमारी हो तो, प्रथम उपचार कैसे किया जाए । तो खुद उस व्यक्ति का, एक जिम्मेदार नागरिक बनने में,सफल योगदान होगा। मैं दवा की पर्ची पर दवा के साथ-साथ संतुलित आहार एवं पोषक तत्वों से परिपूर्ण भोजन और योग की महत्ता का भी उल्लेख करती।
मैं समय-समय पर हर तरह की बीमारियों से जुड़े हुए तथ्यों पर प्रकाश डालते हुए लोगों को शिक्षित करती कि कैसे किसी भी बड़ी बीमारी को छोटे स्तर पर ही दूर भगाया जा सकता है और कैसे उससे बुनियादी तौर पर, अपनी आसपास के लोगों की सुरक्षा की जा सकती है। मैं एक जिम्मेदार नागरिक की तरह अपने कर्तव्य का पूरी तरह निर्वाहन करती।
7: व्यावहारिक व्यक्तित्व का महत्व:
एक डॉक्टर का जिम्मेदार और खुशमिजाज व्यवहार का होना बहुत जरूरी है क्योंकि वह अपने व्यवहार से ही एक मरीज की परेशानी को अच्छी तरह समझने में सफल होता हैं। अगर आप अच्छा व्यवहार करेंगे तो एक मरीज खुलकर अपनी बातों को आपके सामने व्यक्त कर पता है और आप भी मरीज का आचरण समझ पाते हैं। इससे आपको समझ में आता है कि रोगी व्यक्ति किसी डर या किसी आशंका का शिकार तो नहीं। यह भी समझने में आसानी होती है कि रोगी व्यक्ति अंधविश्वासी तो नहीं है या उसकी समस्या एकमात्र उसका वहम है।
अच्छा मन एक स्वास्थ्य शरीर की रचना में मददगार होता है। इस लिए मरीजों को खुश रखने से इलाज का अच्छा परिणाम आता हैं। बड़ों से प्यार एवं सम्मान तथा बच्चों से, ज्यादा दुलार से मिलने पर, उनसे अपनी बात आसानी से मनवाया जा सकता हैं। कुछ ऐसे ही व्यक्तित्व और संजीदगी के साथ, मैं हर रोगी का मन पढ़ लेती और उन्हें रोग मुक्त करने के लिए तन, मन, धन से उनकी सेवा करती।
अगर मैं डॉक्टर होती तो समाज के खोखले और दोगले सोच से ऊपर उठकर, हर परिस्थिति को पछाड़कर, और हर जरूरतमंद की मदद के लिए भरसक प्रयास करती। मैं लोगों के लिए सिर्फ एक डॉक्टर ही नही बल्कि उनके जीवन के लिए एक पथ प्रदर्शक भी होती और उन्हें प्रेरित करती कि अगर आप एक चिकित्सक नहीं है तो भी एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में चिकित्सा शिक्षा की जानकारी को सीख कर , समय-समय पर सरकारी चिकित्सा सुविधाओं और व्यवस्थाओं की जानकारी रख कर , घर-घर तक यह सूचना पहुंचा सकते हैं। साथ ही साथ, देश के कल्याण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकते हैं।
इस प्रकार मैं समाज के लिए जीवन रक्षक होने के साथ-साथ, एक सही जीवन प्रशिक्षक का भी उत्तर दायित्व निभाती।
© इंदू इंशैल
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Very good analysis
Thank you Rohit
Each and every pointers is showing author pain and sacrifice about social .. And inspiring person who seriving like as that ..
बहुत उम्दा आलेख
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