शब्द कम पड़ जाते हैं पापा!

पापा की गाथा

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indu inshail
indu inshail 26 Jun, 2020 | 1 min read
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शब्द कम पड़ जाते हैं और हृदय भारी

जब शुरू करती है बोलना,

आपके बारे में,आप की लाडली


उनके प्रेम और समर्पण को 

नजरअंदाज नहीं कर सकते ।

उन्होंने हर रिश्ते को जो 

मजबूती और दिशा दी है, 

वह लफ्जों से बयान 

नहीं कर सकते।


जिम्मेदारियों से भरपूर ।

किसी से पास,तो किसी से दूर।

बचपन से ही आपको,

प्रेरणा स्रोत चुना।

बड़ी संजीदगी से आपने,

रिश्तो का ताना-बाना बुना।

 

हर किसी को सिखाया बस एक ही मंत्र ।

सुखी और खुश रहने के लिए 

बनो आत्मनिर्भर।

मेहनत ही सिखाती है 

दूसरों की मेहनत की, कदर करना।

वैसे तो दोष देने वाले

बहुत मिलेगे वरना।


मुझे हिम्मत और हौसले का

सबक सिखा दिया।

मुझे आशा और उम्मीदों का

सूरज बना दिया।

मेरे पापा, हां, वह मेरे पापा हैं 

जिन्होंने मुझे अपनी गोदी से

उठाकर चांद पर बिठा दिया।


वह निस्वार्थ परिवार की धुरी बने

और बच्चों को सिखाई समझदारी

शब्द कम पड़ जाते हैं और हृदय भारी

जब शुरू करती है बोलना,

आपके बारे में,आप की लाडली


© इंदु इंशैल




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indu inshail

Indu_Inshail

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Neha Srivastava · 4 years ago last edited 4 years ago

    Lovely poem👌💐💐

  • garima mishra · 4 years ago last edited 4 years ago

    Very Nice Poem 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

  • Anshika · 4 years ago last edited 4 years ago

    Beautiful poem like you

  • indu inshail · 4 years ago last edited 4 years ago

    Thank You Anshika

  • indu inshail · 4 years ago last edited 4 years ago

    Thank you neha

  • indu inshail · 4 years ago last edited 4 years ago

    Thank you Garima

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