है कागज़ी दुनिया
है कागजी जज्बात ।
जो समझे एक दूसरे को
तब जाकर बनेगी बात ।
है कागज़ी दुनिया.....
ये शोर है उस सन्नाटे का
जो कभी बोल नही पाया ।
हलक से निकली जुबान जो
तो फिर तौल नही पाया ।
है कागज़ी दुनिया.....
तभी तो इतना कर्कश है
तभी तो निंदा से भरपूर।
बहुत कुछ पाकर भी इंसान ने
शांति का छोर नही पाया।
है कागज़ी दुनिया.....
©इंदू इंशैल
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