हमने क्या पाया ?

सन्नाटे को मत कोसो, जब शोर भर हो कानों में।

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indu inshail
indu inshail 30 Oct, 2020 | 1 min read
Poetry Silence

है कागज़ी दुनिया

है कागजी जज्बात ।

जो समझे एक दूसरे को

तब जाकर बनेगी बात ।

है कागज़ी दुनिया.....


ये शोर है उस सन्नाटे का

जो कभी बोल नही पाया ।

हलक से निकली जुबान जो

तो फिर तौल नही पाया ।

है कागज़ी दुनिया.....


तभी तो इतना कर्कश है

तभी तो निंदा से भरपूर।

बहुत कुछ पाकर भी इंसान ने

शांति का छोर नही पाया।

है कागज़ी दुनिया.....

©इंदू इंशैल

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