हल्ला बोल

हल्ला बोल समय हुआ संहार का अब। न सहन बुराई होगी अब।

Originally published in hi
Reactions 1
647
indu inshail
indu inshail 08 Oct, 2020 | 1 min read
Women Respect Poetry Society

अभी कितने होंगे वार,और कितना होगा हाहाकार 

बस होती रहेगी दूर तलक, संवादों की बौछार है।


क्या औरत की अस्मिता का, बस इतना ही सम्मान हैं

युग कोई भी रहा पर, होती रही सुता की हार है।


धरती माँ रोई फफ़क फफ़क, जो सरे आम इज्जत उछली

चारो दिशा है क्रंदनमय, ये बेटी की चीत्कार है।


कभी द्रोपदी की लाज बिकी, तो कभी पद्मावती का जौहर

ना बदलेगी प्रवृत्ति राक्षसो की, बस विकल्प बचा संहार हैं।


जब बनेगी दुर्गा हर नारी तो, रौद्र रूप दिखलाएगी

अम्बर भी कॉप उठा जिससे, वो औरत की हुँकार है।

©इंदू इंशैल


1 likes

Published By

indu inshail

Indu_Inshail

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.