वक़्त की दरख्वास्त है,
चलो कुछ और दिन ठहर जाते हैं।
टूटने के बाद सहेजना बड़ा मुश्किल होगा,
गिर के बिखरे कि इससे पहले ही संभल जाते हैं।
अब जो धुल गई हवा, तो साफ-साफ लगे।
परिंदों की गुनगुनाहट में एक मिठास लगे।
आसमा में चाँद तारे लगते खिले-खिले,
बेहतरीन हुई दुनिया कुछ खास सी लगे।
चलो शोर से निकल कर सन्नाटे में जाते हैं,
जी लिए बहुत हबड़-तबड़ की जिंदगी,
कुछ और वक्त फिर बिस्तर में पसर जाते हैं।
वक़्त की दरख्वास्त है,
चलो कुछ और दिन ठहर जाते हैं।
-इन्दू"इंशैल"
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