महफ़ूज़ रहो
पर मगरूर होने की ज़रूरत नहीं|
रखो ख्याल सबका
इतना भी मसरूफ़ होने की जरूरत नहीं|
पता नहीं कब कौन
सिमट जाए इस बेपरवाह तूफान में|
बेवजह बाहर
निकलने की जरूरत नहीं।
This poem/Shayari is telling the need of time what is People in most of the country is facing together in phase of Covid19. Lets fight back by staying 8 home. taking care of each other. #thankyou
महफ़ूज़ रहो
पर मगरूर होने की ज़रूरत नहीं|
रखो ख्याल सबका
इतना भी मसरूफ़ होने की जरूरत नहीं|
पता नहीं कब कौन
सिमट जाए इस बेपरवाह तूफान में|
बेवजह बाहर
निकलने की जरूरत नहीं।
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