कोरोना के चलते लोगो को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही इसने सभी को एक नई जीवनशैली से परिचय करवाया है। आज मैं अपने इस आर्टिकल में कोरोनाकाल में जीवनशैली मे हुए बदलावों की चर्चा करुँगी।
1. ऑनलाइन क्लास से घिरे बच्चें:- कोरोना जीवनशैली ने केवल बड़ो ही नही बल्कि बच्चो को भी प्रभावित किया है। शुरू में स्कूल कॉलेज बंद रहे पर आखिर कब तक हम बच्चों को शिक्षा से दूर रख सकते थे। कोरोना काल मे ऑनलाइन क्लासेज का चलन काफी तेजी से बढ़ गया है। पर एक ओर जहां ऑनलाइन क्लासेस टीचर और बच्चों के लिए मददगार और राहत भरी है वही पेरेंट्स के पर इसका दबाव बढ़ गया है। पहले पैरेंट्स बच्चों को स्कूल भेज कर कुछ समय के लिए चैन की सांस लेते थे वही अब उनका क्लास वर्क से लेकर उनका होमवर्क कराने का जिम्मा पैरेंट्स का ही हो गया है। टीचर तो अपनी क्लास लेकर फ्री हुए न तो अभी उन्हें इतने सारे बच्चों को संभालने की टेंशन न कॉपी चैक करने की पर पैरेंट्स खास तौर पर माँओ के लिए काम का दबाव बढ़ गया है। पर कही न कही ऑनलाइन क्लासेज बच्चों के विकास तथा उनकी शिक्षा की गुणवत्ता पर भी प्रश्न उठाती है। क्योंकि घर में न तो बच्चें वह अनुशासन का पालन करते है जो उन्हें स्कूल में सीखाया जाता है और न ही घर पर उन्हें वह वातावरण मिल पाता है जो उनकी शिक्षा और विकास के लिए जरूरी है। खैर हर परिवर्तन के जितने फायदे होते है उतने ही नुकसान भी होते है फिलहाल हम अपने बच्चों को स्वस्थ और सुरक्षित देखना चाहते है इसलिये हमने यह परिवर्तन स्वीकार कर लिया है।
2. बेरोजगारी ने बनाया आत्मनिर्भर:- लॉकडाउन और देशबन्दी क चलते बहुत से प्रवासी मजदूरों और प्राइवेट जॉब वालो को बेरोजगार होना पड़ा। विशेषकर यह समय प्रवासी मजदुरों के लिए बहुत ही भारी रहा है। शुरुआती अनुभव उनके लिए बहुत ही कष्टदायक रहा पर अब उन्होंने इस परिवर्तन से समझौता कर लिया है अब उन्होंने आय और जीवनयापन के नए नए तरीके भी खोज लिए है। जो लोग काम की तलाश में अपने घर और शहर से दूर जाना पड़ता था वे अब अपने परिवार के साथ रहकर ही आज आत्मनिर्भर बनने और अपना स्वयं का व्यवसाय करने में सफल हुए है। अगर यह लॉकडाउन और कोरोना काल न आता तो शायद उन्हें कभी यह ज्ञात ही न हो पाता कि वे मजदूरी के अलावा भी कुछ कर सकते है। कही न कही हम यह कह सकते है कि कोरोना ने लोगो को बेरोजगार नही बल्कि आत्मनिर्भर भी बनाया है।
3.अपनो के लिए मिला समय:- कुछ लोगो को यह अफसोस रहता है कि जीवन गुजर गया पर जिंदगी की भागदौड़ में कभी अपनो के साथ वक़्त नही गुजार पाएं या कभी स्वयं को समय नही दे पाए हमेशा परिवार और जिम्मेदारियों में ही लगे रहे। अब हमें अपने परिवार के साथ पूरा पूरा दिन बिताने का मौका मिला है अपने बच्चो को ज्यादा से ज्यादा समय देकर उनके दोस्त बनें। हर माँ बाप अपने बच्चे को लाड़ प्यार तो करते है लेकिन बच्चों के दोस्त नही बन पाते। पहले तो हमारे पास काम के बहाने थे लेकिन अब हमारे पास इतनी फुर्सत है कि बच्चो के साथ बैठकर उनकी हर छोटी छोटी बात, रुचि आदि के बारे में जान सकें। परिवार में अपने माता पिता या बुजुर्गों के पास बैठकर उनकी परेशानी, तकलिफो, उनकी पसन्द के बारे में पूछे। यकीन मानिए आपको खुशी जरूर मिलेगी।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice
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