दोस्ती का रिश्ता भाग 2

लड़का लड़की भी बेस्ट फ्रेंड बन सकते है

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Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 10 Aug, 2020 | 1 min read
sociaty Friendship


सरला जी रश्मि के पास जाकर बोली "मैंने कहा था न कि दीपक से दूर रह देखा तेरे पापा का गुस्सा

"पर माँ मेरी गलती ही क्या है दीपक मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त है पांच सालों से हम एक दूसरे को जानते है। जरूरी तो नही की लड़का लड़की में दोस्ती सिर्फ एक आकर्षण हो""ठीक है मैंने मान लिया पर तु किस किस को सफाई देगी हमारा समाज उसे कभी भी दोस्ती की नजर से नही देखेगा"

उस दिन के बाद से रश्मि को न चाहते हुए भी दीपक से बात करना बंद करना पड़ा। ऑफिस में भी उसे नजरअंदाज करने लगी। रश्मि के पापा ने जल्दी ही रश्मि का रिश्ता भी पक्का कर दिया। दीपक को रश्मि की शादी पक्की होने की बात भी दूसरों से पता चली। दीपक को शादी पक्की होने की बात से खुशी तो हुई पर दुख भी हुआ कि इतनी खुशी की बात रश्मि ने मुझे खुद क्यों नही बताई।

कई बार सच्ची दोस्ती समाज की सोच के आगे हार जाती है। दीपक और रश्मि के साथ भी यही हुआ। घर मे शादी की तैयारियां चलने लगी थी तभी सरला जी का पैर सीढ़ियों पर फिसल गया। सिर में चोट लगने से वे बेहोश हो गई थी काफी खून भी बहने लगा था। रश्मि ने आनन फानन में जल्दी ही दीपक को फ़ोन कर दिया। कुछ ही मिनटों में दीपक एम्बुलेंस के साथ घर पहुँच चुका था। दीपक तो वहाँ देख कर मनोहर जी को गुस्सा तो आया पर फिलहाल सरला को जल्दी अस्पताल ले जाना जरूरी था। सरला जी को अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। मनोहर जी तो गहरे सदमे में कुछ बोल ही नही पा रहे थे। डॉक्टर ने बताया कि खून काफी बह गया है ऑपरेशन करना होगा और उन्हें o+ ब्लड की जरूरत है मनोहर जी कुछ बोलते इससे पहले ही दीपक बोल उठा। डॉक्टर मेरा o+ ब्लड है आप मेरा ब्लड ले लीजिए। रश्मि और मनोहर जी के पास तो जैसे कुछ शब्द ही नही थे। दोनों ही बस ईश्वर को स्मरण कर रहे थे कि सरला की जान बच जाए। दूसरी और दीपक अस्पताल की सारी फॉर्मिलटी पूरी कर रहा था। सबकी दुआ से सरला जी की जान बच गई। पर अब मनोहर जी का स्वभाव दीपक के प्रति बदल चुका था।

"समझ नही आता बेटा की किस तरह तुम्हारा शुक्रिया करू। आज तुम समय पर नही आते है और अपना ब्लड नही देते तो आज मैं सरला को खो चुका होता"

"अरे नही अंकल इसकी जरूरत नही। रश्मि के दोस्त होने के नाते ये तो मेरा फर्ज था पर आपसे एक विनती है। रश्मि और हम बेस्ट फ्रेंड है कृपा हमसे हमारी दोस्ती मत छीनिये" कहकर दीपक ने हाथ जोड़ लिए

इस हादसे से मनोहर जी ह्र्दय परिवर्तन हो गया था अब उन्हें भी यकीन हो गया था कि रश्मि और दीपक के बीच दोस्ती के अलावा कुछ नही है। साथ ही उन्हें अपनी सोच पर पछतावा भी था।

दोस्तो कई बार समाज की सोच और मानसिकता के चलते हमारी दोस्ती की भी हत्या कर दी जाती है। और किसी को सजा भी नही होती।

वैसे तो हम कहते है कि दोस्ती का रिश्ता जाति धर्म, अमीरी गरीबी से परे होता है तो फिर हम उसे लैंगिक भेदभाव से क्यों जोड़ते है। दोस्ती का रिश्ता तो विश्वास से जुड़ा होता है और दोस्त सिर्फ दोस्त होता है उसमे यह सवाल कतई नहीं आने देना चाहिए कि वह लड़का है या लड़की।।

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