पापा ने देखो के रुचिका मो लटकाये खाट पे बैठी है। बे समझ गए के जरूर कोनऊ बात है नइतर अबे लो तो रुचिका तैयार हो जात ती।
"अरे रुचिका तम अबे लो तैयार काय नाइ भइ आज तो तोमाय स्कूल में चित्रकला प्रतियोगिता हती न"
"मोये नई लेने कोनऊ प्रतियोगिता में भाग। अबेलो मोल्लाकेलो प्रतियोगिता भइ और मैंने सबइ में भाग लओ लेकन कोनऊ में जीत नइ पाइ"रुचिका ने उदास होके कई
"बेटा प्रतियोगिता में जीतबो इत्तो जरूरी नइया जित्तो उमे भाग लेबो जरूरी है। और जोलो तम भाग न ले हो सो जीत हो कैसे। तम तो ईमानदारी से अपनो काम करत राओ एक न एक देना तमे उको फल जरूर मिल है" पापा ने रुचिका खा समझा के कई
रुचिका स्कूल चली गई। शाम के खुशी में झूमत रुचिका दौड़त आई और पापा से लिपट गई। "अरे का भओ इत्ती खुश काय है" पापा ने कओ
"अरे पापा बात अई खुशी वाली है आज मोये प्रतियोगिता में पेहलो स्थान मेलो है आपने सइ कई ती पापा की जो लो भाग न ले है सो जीतहे कैसे" रुचिका ने खुशी से कइ
और आज रुचिका खा स्टेट लेवल पेंटिंग टीचर के लाने चुनो गओ है। जो पापा की दई सीख को ही नतीजा हतो। अपने सम्मान और कामयाबी को पुरो श्रेय रुचिका ने पापा खा ही दओ। आज पापा तो संगे नइया लेकन उनकी दई सीख हमेशा रुचिका के संगे है।
@बबिता कुशवाहा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
प्रेरणादायक
Nice story with nice message
Thankyou @sonia ji @raghvendra ji
प्रेरक रचना
Thankyou @archna ji
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