सबहू के दौरे दिया जल गए है सबहू कि घरे रोशनी से जगमगा रये है और ते ऐते अंधयारे में बैठी है चले पूजा को वख्त हो गओ है" मोहन जी अपनी पत्नी वसुधा से बोले
मगर कोनऊ जवाब न मिलो। मोहनजी ने एंगर जाके देखो तो वसुधा आँसूअन से नहा चुकी हती।
"ले अब ते फेर शुरू हो गई। आज त्यौहार के देना रो रइ। अब कबलो उको इन्तजार कर है। उ खा आने होतो तो कब को आ चूको होतो। दस साल हो गए उ खा गए अब उ नई आहे। अब उ विदेश में खुश है अपने बीवी बच्चन के संगे।"
"लेकिन मोरी खुशी तो ओई में है" वसुधा जी रोउत बोली
तबई दौरे में गाड़ी की आवाज सुनाई दई। वसुधा का बेटा विदेश से परिवार संगे लौट आओ तो। वसुधा ने उये देखो तो दौड़ पड़ी।
"मोये विश्वास हतो ई दिवाली ते जरूर आहे। देख अबे लो मैंने पूजा भी नई करी। चल अब संगे पूजा कर हो अपनी बहू के हाथन से दिया जलवा हो अब तो" वसुधा जी खुशी के मारे बोल भी नई पा रइ ती
"हा माँ मोये माफ कर दे मैं लौट आओ हो हमेशा के लाने अब मैं समझ गओ हो कि त्यौहार का मजा तो माँ बाप के संगे है। अब मैं तोये छोड़ के कबहु न जेहो मैं लौट आओ हो सिरफ़ इस दीवाली नही हर दिवाली के लाने।
@बबिता कुशवाहा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Bahut badhiya
Thanks dear
बहुत बढ़िया
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