कौन कहता है आदमी रोता नही???
मैंने देखा है अपने पापा को रोते हुए
मेरी विदाई में दूर खड़े आंसू बहाते हुए
नम आंखों को पलको के नीचे छुपाते हुए...
कौन कहता है आदमी को दर्द नही होता???
मैने देखा है अपने पापा की तकलीफ को
मेरे गमो पर उनके दिल मे उभरे जख्मों को
परिवार का पेट भरने के लिए मेहनत से हाथों में पड़े छालों को.....
कौन कहता है आदमी कठोर होता है???
मैंने देखा है अपने पापा के प्रेम को
सख्ती के पीछे छुपे उनके प्यार को
मेरी ख़्वाहिशों के लिए किए उनके त्याग को
महसूस किया है उनके प्रेम और एहसास को
मेरे पापा ही मेरा गुरुर, मेर अभिमान, मेरी शान है
मेरे पापा में बसती मेरी जान है।
स्वरचित, अप्रकाशित
@बबिता कुशवाहा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत ही भावपूर्ण रचना
धन्यवाद
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