कभी तो मुझ पर अपना हक जताया करों
मेरे न पूछने पर भी मुझे सब बताया करों,
कभी तो उदासी में मेरे गले लग जाया करों,
रूठ जाते हो तो जल्दी मान जाया करों,
कभी तो संडे को घुमाने ले जाया करों,
ज्यादा न सही दो पल साथ बैठ जाया करों,
कभी तो मुझ पर अपना हक जताया करों।।
कभी तो किचन में हाथ बांटाया करों,
मैं भी थक जाती हूं ये समझ जाया करों,
कभी तो कुछ फैसलों में मेरी राय लिया करों,
मुझे भी तकलीफ होती है ये जान जाया करों,
गृहस्थी की गाड़ी साथ मिलकर ही चलती है,
हाथों में हाथ और कदम से कदम तुम भी मिलाया करों,
कभी तो मुझ पर अपना हक जताया करों।।
©®बबिता कुशवाहा
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