आज की मेरी कहानी उन सभी के लिए जो कहते है दिन भर घर पर करती क्या हो? ये कहानी मैंने एक शार्ट फिल्म में देखी और ये मुझे हर वो महिला की कहानी लगी जो घर पर रहती है। उसी शार्ट फ़िल्म को मैंने शब्दो मे उतारने का प्रयास किया है ताकि सभी महिलाएं जिन्होंने ये फ़िल्म नही देखी उन तक भी ये पहुँच सके। कुछ गलती हो तो माफी चाहूंगी। ये कहानी है लता की.....
लता सयुक्त परिवार दो बच्चे, पति और सास ससुर के साथ रहती है। लता एक रूटीन में बंधी हुई है, घर का छोटे से छोटा काम संभालती है। उसकी सुबह सबकी सुबह होने से पहले ही शुरू हो जाती है वो घर में सबसे पहले जागती है जब तक घर वाले सो कर उठते है घर का कोना कोना चमक रहा होता है। एक तरफ सास ससुर के लिए चाय बन रही होती है तो दूसरी तरफ बच्चो का दूध तैयार करती है। साथ मे नाश्ते की भी तैयारी हो रही होती है। जहाँ एक तरफ पति रवि अपना अखबार लेकर एक कोना पकड़ लेता है वही लता की भागदौड़ चालू रहती है।
सबके पसंद का खाना बनाना, घर को हर समय देखते रहना, पड़ोसियों से भी व्यवहार रखना, सास के पैरों की मालिश करना, ससुर को समय पर दवाई देना, दिन का खाना, रात का खाना, बच्चो की पैरेंट्स मीटिंग, बच्चो के होमवर्क से लेकर उनके पेंसिल रबर हर चीज की खबर रखना लता का दिन भर का रूटीन है। इतना नही फिर भी वह घर के काम से थोड़ा बहुत समय निकाल कर घर मे ही पार्लर भी चलाती है और थोड़ा बहुत कमा लेती है। शाम को थक कर बिस्तर पर जाती है तब तक सब सो चुके होते है कभी सिरदर्द तो कभी कमर दर्द खुद ही मरहम लगा लेती है फिर भी किसी से कोई शिकायत नही करती। सच मे एक घरेलू औरत सुपरवुमन से कम नही।
फिर भी घर के सदस्यों को ये बेहद नॉर्मल सी बात लगती है। रवि तो हमेशा यही कहता कि तुम्हारी जिंदगी कितनी सही है तुम्हे तो दिन भर घर मे ही रहना पड़ता है। मेरी तरह बाहर जाकर काम करती तो पता चलता कितना प्रेशर होता है दिमाग मे। लता को बुरा लगता पर बिना बोले ही चुप रह जाती। लता सासू माँ के पैरों की मालिश कर रही थी तभी रवि फ़ोन करता है...लता- "आज क्या भूल गए"
रवि-"सॉरी लता मैं बताना भूल गया शाम को कुछ दोस्तों को बुलाया है तो उनका भी खाना बना लेना"
लता कुछ बोलती उससे पहले ही फोन कट गया। फिर शाम के खाने की तैयारी में लग गई। शाम को रवि अपने दोस्तों के साथ गप्पो मे लगा था किसी बात पर चर्चा चल रही थी
रवि-"मत पूछ यार अकेला बन्दा जैसे तैसे घर चलाता हु"
दोस्त-"कुछ भी मत बोल भाभी जी भी तो पार्लर चलाती है"
रवि-"भाई ये अपरलिप्स और आइब्रो बना कर घर चलने लगा तो फिर हम आदमियों की क्या जरूरत"
सब दोस्त ठहाका लगाकर हँसने लगे। खाना सर्व करते हुए लता ने सुना तो रहा न गया। उसे रवि से ये उम्मीद न थी दोस्तो के सामने अपनी ही पत्नी के काम को छोटा बताते हुए रवि को भले अच्छा लगा हो पर लता अपने आँसुओ पर काबू न कर पाई। उसने सोच लिया अब वो चुप नही रहेगी अपने अस्तित्व की पहचान के लिए खुद ही कुछ करना होगा।
अगले दिन शाम को रवि को चाय देते हुए लता ने कहा "रवि मैं सोच रही थी कि कुछ दिनों के लिए थोड़ा बाहर हो आऊ"
"मैं नही जा सकता लता ऑफिस में बहुत काम है"
"नही मैं अकेली जाने की बात कर रही हु"
"अकेली! पर कहा?
"एक महीने के लिए दिल्ली मेरे मामा के यहाँ
"एक महीने के लिए दिल्ली पर क्यों?
"मुझे ब्रेक चाहिए"
रवि ने हँसते हुए कहा "ब्रेक और तुम्हे"
रवि की हँसी लता के सीने को चीर गई। "क्या मैं ब्रेक नही ले सकती? इसमें हँसने वाली कौन सी बात है।"
"अरे! मेरा मतलब है तुम काम थोड़ी करती हो घर पर ही तो रहती हो सारा दिन"
"हा तो सारा दिन घर पर रहने से ब्रेक चाहिए मुझे"
"किसी ने कुछ कहा क्या तुमसे और वहा जाने आने के लिए पैसे......
"मैं ब्रेक क्यों नही ले सकती रवि, थक गई हु मैं, कुछ दिनों के लिए कुछ भी नही करना चाहती हु इसलिए ब्रेक चाहिये। सुबह से शाम तक अकेली काम करती हूं, सबके आराम का ध्यान रखती हूं लेकिन कोई मुझसे पलट कर नही पूछता की लता तूने आराम किया कि नही थक तो नही गई। आज मैं अपने आराम की बात कर रही हु तो दस सवाल पूछ रहे हो आप मुझसे। मेरी कोई लाइफ नही है क्या? और वैसे भी पैसे नही चाहिए मुझे आईब्रो, वैक्सीन से मैने अपने लिए सेव कर लिए है।"
रवि-"अच्छा तो तुम कल दोस्तो वाली बात..... अरे! वो तो मैने ऐसे ही मजाक में...
"लेकिन मैं मजाक नही कर रही हु मैने सोच लिया है" कहकर लता उठकर चली गई।
लता के जाने की खबर जब घर पर सबको चली तो सन्नटा छा गया। बच्चो से लेकर सास ससुर सब परेशान।
ब्रेकफास्ट कौन बनायेगा? होमवर्क कौन कराएगा? ड्रेस कौन धोएगा? प्रेस कौन करेगा? उधर सास ससुर भी अपने काम गिनवाने लगे। चाय कौन देगा? शाम को वॉक पर कौन ले जाएगा, पैरों की मालिश कौन करेगा? टाइम पर दवाई कौन देगा? खाना कौन बनायेगा?
लता अपने जाने की तैयारी में लग गई। ससुरजी को कौन सी दवाई देनी है, सासु माँ का कौन सा सीरियल कौन से नंबर पर आता है। बच्चो को क्या करना है क्या नही करना है सारी बाते लता ने सबको समझा दी।
रवि ने भी सोचा बस एक महीने की ही तो बात है काम के लिए वो बाई लगा लेगा। फिर शुरू हुआ काम की लिस्ट बनाना और किस काम मे कितने पैसे लगेंगे।
बच्चो की ट्यूशन फीस-5000, खाना बनाना-8000, झाड़ू पोछा बर्तन कपड़े-5000, पापा की वॉक-4000, घुटनों की मालिश-3000 कुल-25000 इतने में गुड़िया बोल पड़ी ये तो आपकी आधी सैलेरी है पापा और मम्मी हर महीने इतने का काम करके आपके पैसे बचा लेती है। सब चुप थे रवि को भी अब एहसास हो रहा था कि वो कितना गलत था।
रवि ने लता से सबकी तरफ से माफी मांगी "मैंने कभी रियलाइज ही नही किया कि तुम चुपचाप हम सबके लिए इतना कुछ करती हो। सॉरी हमने तुम्हारी कभी वैल्यू नही समझी।" इतने में सासु माँ और बच्चे भी आ गए। सबने मिलकर लता को सॉरी बोला।
"मन तो बहुत कर रहा है बहु लेकिन हम तुझे रुकने के लिए नही बोलेंगे। बहुत स्वार्थी है हम सब जो अपनी खुशी अपने काम के लिए तेरी खुशी छीन ली अब और नही तुझे भी ब्रेक मिलना चाहिए" सासूमाँ ने लता को गले लगाते हुए कहा।
एक महीने बाद जब लता दिल्ली से वापस आई तो घर मे अलग ही माहौल था। अब सुबह उसके साथ रवि भी उठ जाता और घर के कामों में उसकी मदद करता। सासूमाँ भी किचन में हेल्प करवाने लगी थी। बच्चे भी अब माँ की वैल्यू समझ गए थे अपने छोटे मोटे काम के लिए अब वो मां को परेशान नही करते। वो क्या है न जब तक आदमी पर खुद पर नही बीतती तो उसको एहसास नही होता कि सामने वाला कितना कुछ करता है हमारे लिए।
हर हाउसवाइफ का काम ऐसा काम है जिसमें आप कितना भी कर लो आप हमेशा अनदेखे ही रहोगे, ऐसा काम जिसमे कोई छुट्टी नही फिर भी यही सुनने को मिलेगा की "घर पर दिन भर करती ही क्या हो?" बहुत जरूरी है कि हम अपनी माँ या हाउसवाइफ को इस टैग से हटकर एक व्यक्ति की तरह ट्रीट करे। जाने की उसकी पसंद या नापसंद क्या है? उनसे पूछे कि उनका दिन कैसा गया या उन्होंने क्या खाया? बेहद जरूरी है कि हम उन्हें वो प्यार लौटाए जो वो दिन भर हम पर लुटाती रहती है, बेहद जरूरी है कि हम उनकी जरूरतों को भी समझे।
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@बबिता कुशवाहा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
सही बात है
Bilkul
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