आज के टेम में चाये गाँव होय या शहर सबरे अंग्रेजी के पछारे भाग रये है। अब चार छः बरस के बच्चा भी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलत है। बात तो जा छोटी है और माँ बाप खा खुशी भी होत हुईए के उनको बच्चा अंग्रेजी बोल रओ है पर अगर अपने मन की बात, अपनी भावनाएं भी बच्चा सिरर्फ अंग्रेजी में ही बता रओ है तो जा अनदेखी करबे वाली बात नइया।
जेते की मातृभाषा हिंदी होय उ देश में अंग्रेजी खा इत्तो महत्व आखिर काय???
काय अंग्रेजी न आबे वालो आदमी बैंक, बड़े होटलन या बच्चन की पैरेंट्स मीटिंग में जाबे से डरत है काय??
काय हिंदी बोलबे वाले खा नासमझ और अंग्रेजी बोलबे वाले खा होशियार समझो जात है??
जे सवाल मोये हमेशा कचोटत रये है। आज हिंदी दिवस जैसो दिना केवल औपचारिकता बन कर रह गओ है। लगत है जैसे लोग गुम हो गई अपनी मातृभाषा खा केवल श्रद्धांजलि अर्पित करत हैं वरना का आपने कबहु अंग्रेजी दिवस या कोनऊ और भाषा को दिन मनाबे के बारे में सुनो है?? हिन्दी दिवस मनाबे को अर्थ है हेरा(गुम) रइ हिन्दी को बचाबे के लाने एक प्रयास।
आजकाल हर शिक्षित आदमी अंग्रेजी में बोलबो अपनो स्टेटस समझत है। अगर आपखा ऊँची सोसायटी में राने है तो अंग्रेजी बोलबो जरूर आबो चाईए नइता आप उनकी नजरन में अनपढ़ नजर आहे। आज हर माँ बाप अपने बच्चन खा अंग्रेजी कॉन्वेंट में पढ़ाबो खुद की शान समझत हैं। अंग्रजों से आजद होबे के बाद भी हम अंग्रेजी के गुलाम बन गये है। लेकिन हमें जो नई भूलबो चाईए कि हिंदी हमाई मातृभाषा है और उको हमें दिल से सम्मान करनो है। हिंदी बोलबे में शर्म नहीं गर्व महसूस होबो चाईए।
जैसई तकलीफ होबे पे हम सिर्फ माँ खा याद करत है उसई हम कित्ती भी अंग्रेजी बोलबो सीख जाएं पर हमाये मन के भाव, हमाओ प्यार, हमाओ सुख-दुख अपनी मातृभाषा में ही प्रकट होत है। हिंदी सिर्फ भाषा नइया है बल्कि हमाओ गर्व, हमाई शान, हमाओ अभिमान है।
आज ब्यूटीफुल और काँग्रेट्स ने जाने कित्ते अच्छे शब्दन खा भुला दओ है इको आज कोउ खा भी एहसास नाइ हुईए। हमाई भाषा के संगे हमाई संस्कृति जुड़ी होत है और हमाई संस्कृति जित्ती भी रे गई है बा हिंदी भाषा से ही बची है। हिंदी सबके दिलन की भाषा है। माँ-बच्चन, साखियन, दोस्तन और हमाये करीबियन के बीच अक्सर हिंदी में ही बात होत है। अपने सुख दुख जब अपनन से साँझा होत है तो मुख से अपनी ही भाषा निकलत है। रोजगार, ऊँची पढ़ाई, बाहरी दुनिया में आगे बढ़बे की आड़ में भले अंग्रेजी की जरूरत खा सही ठहराओ होय लेकन घर के भीतर, अपनन के बीच विदेशी भाषा बोलबे की न तो जरूरत है औऱ न कोनऊ मजबूरी। कम से कम घर में तो हिंदी दिल की भाषा बन ही सकत है।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत बढ़िया 👌👌
Very nice,, 👌👌👌👌👌
Thankyou @kamini ji @pinky ji
अच्छा लिखा, सब समझ आ रहा है
जा भई न बात,अपनी बोली सबइ में अच्छी आये...कोउ खा पुसाये चाय न,अपन तो जेई बोल्बी। मन खुस हो गाओ पढ़ के।❤️
Good mam
Super 😊
बहुत बढ़िया 👌
Waooo Nice
Please Login or Create a free account to comment.