बात उन दिनों की है जब मेरी शिक्षिका के पद पर नई नई जॉइनिंग हुई थी। एक दिन मैंने कक्षा 4 के विद्यार्थियों से कहा कि आप सब जिसकी पूजा करते है उनके बारे में लिखो। सबको लिखने के लिए आधे घन्टे का समय दिया गया। समय पूरा होने पर मैंने सबसे नोट्स कलेक्ट किये क्योंकि मेरी क्लास के बाद ही स्कूल की छुट्टी हो जाती थी इसलिए सभी के नोट्स घर ले आई। रात को सोने से पहले मैं सभी के नोट्स चेक कर रही थी सभी ने अपने अपने भगवान के बारे में बताया था और भी बहुत कुछ लिखा था। पर एक बच्चे ने अपने नोट्स में जो लिखा था उसने मेरे जीवन को बहुत प्रभावित किया। उसमे लिखा था
"मेरी माँ रोज तुलसी के पौधे को जल देती है उसकी परिक्रमा करती है फिर हमारे घर के मंदिर में एक घण्टा पूजा करती है। मैं जब भी माँ से पूछता हूं कि इनकी पूजा क्यों करती हो? तो वो कहती है कि ये हमारी रक्षा करते है हमे मुसीबत से उबारते है इसलिए हम इनकी पूजा करती है। पर मुझे एक बात समझ नही आती की मेरी रक्षा तो मेरे माँ बाप करते है मेरी बड़ी बड़ी मुसीबतें जैसे पाठ याद न होना, कोई सवाल हल न कर पाना और एक बार तो मैं अपनी साइकिल से गिरने ही वाला था पर मेरे पापा ने मुझे गिरने से पहले ही पकड़ लिया और भी बहुत सारी मुसीबतों से मेरे माँ बाप ही मुझे बचाते है भगवान तो कभी बचाने नही आया तो सब उनकी पूजा क्यों नही करते?? मैं माँ से कहता हूं ये तो कभी दिखते ही नही फिर भी तुम इन्हें भोग लगाती हो, घर मे जगह की कमी के कारण दादा जी स्टोर रूम में सोते है पर ये जो दिखते नही उनके लिए इतना बड़ा मंदिर क्यों बनवाया है? तो माँ बोली कि ये ही हमें भोजन देते है आश्रय देते है इसलिए इनकी सेवा तो जरूरी है पर मुझे खाना पीना तो मेरे माँ पापा देते है और मेरा आश्रय भी उन्ही का घर है तो क्या मुझे भी उनकी सेवा करनी चाहिए??
एक दिन मैंने पापा से पूछा जो हमारी रक्षा करे, हमे मुसीबत से बचाये, हमे भोजन दे, हमे आश्रय दे क्या वो भगवान होता है तो पापा बोले हा वो भगवान है। पर मुझे समझ नही आता यह सब तो मुझे मेरे माँ पापा देते है तो मेरे भगवान तो वो ही हुए। और मेरी तरह हर बच्चे के माँ पापा उनके भगवान हुए तो सब उनकी पूजा क्यों नही करते क्या वो भगवान नही?? मुझे अभी तक यह ठीक से पता नही चला है कि पूजा किसकी करनी है जो मंदिर में रहते है उनकी या जो घर मे रहते है और भगवान की ही तरह हर काम करते है उनकी... जैसे ही मुझे पता चलेगा मैं आपको बता दूँगा।"
उस बच्चें के सवालों और उसकी जिज्ञासा ने मुझे भी सोचने को मजबूर कर दिया कि भगवान और माँ बाप में क्यों ज्यादा अंतर नही है माना ईश्वर सृष्टि के रचयिता है तो माँ बाप भी तो नए जीवन के रचयिता है। माना ईश्वर ने मनुष्य रूपी जीवन दिया है पर उस मनुष्य को संसार मे बेख़ौफ़ रहना सीखाने वाले माँ बाप ही है। यह सत्य है कि ईश्वर की कृपा सब पर रहती है पर जब तक मनुष्य जीवित रहता है माँ बाप का आशीर्वाद भी हमेशा रहता है चाहे वह जीवित न भी हो तब भी। मेरे भगवान, मेरे ईश्वर मेरे माँ बाप ही है और मैं उनकी ही पूजा करती हूं।
स्वरचित, अप्रकाशित
@बबिता कुशवाहा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Wah beautiful story ❣️
Good wrote 💐
Thankyou @pragati @ekta ji
Bahut achhi hai..
धन्यवाद @savita ji
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