कभी हँसाती, कभी गुदगुदाती,
तो कभी ज्ञान अपार देती है,
कभी इतिहास में, कभी विज्ञान में
कभी कल्पना की उड़ान भरती हैं,
ये किताबें है जनाब इनकी अलग ही दुनिया होती है।।
कभी ये बातें करती हमसे,
कभी ये हमारी भी सुनती है,
कभी प्रेमी सा प्यार दिखाती तो
कभी मीरा सा तड़पाती हैं
ये किताबें है जनाब इनकी अलग ही दुनिया होती है।।
पढ़ लेता जो भी इनको
सफलता कदम चूमती हैं,
अमीर गरीब यह नहीं देखती
सबकी दोस्त यह बनती है,
ये किताबें है जनाब इनकी अलग ही दुनिया होती है।।
शब्दों की है ताकत इनमें
अक्षरो सी बलवान है,
जिसने भी चुना है इनको
मिलती खुशियां तमाम हैं,
सुख-दुख की है साथी ये,
हमारें मन की बातें करती है
ये किताबें है जनाब इनकी अलग ही दुनिया होती है।।
स्वरचित, अप्रकाशित
बबिता कुशवाहा
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