शादी के बाद वो नए घर को अपनाती है,
पर मायके का मोह वो छोड़ न पाती है।
अपनी इच्छाओं को दबा वो जाती है,
ससुराल में सबकी खुशियों का ध्यान रखती है,
अपने घर को एक औरत खूब सँवारती है,
पर मायके का मोह वो छोड़ न पाती है।
अपने ही घर जाने की परमिशन के लिए सबसे गिड़गिड़ाती है,
परम्परा के नाम पर दुनिया औरत को ही दबाती है,
पर मायके का मोह वो छोड़ न पाती है।
खुली हवा में उड़ती एक बेटी जिम्मेदारियों में बंध जाती हैं,
अपने हर रिश्ते को वो दिल से अपनाती हैं,
पर दुनिया वालो की नजरों में वह पराई कहलाती है,
पराये घर में स्वयं का अस्तित्व तलाशती हैं
पर मायके का मोह वो छोड़ नहीं पाती हैं।
©®बबिता कुशवाहा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Kya baat... bohot hi oomda likha hai aapne
शुक्रिया
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