समीर आज फिर तुमने लंच नही किया। माँ मुझे नही करना आपका लंच। मैने शनि के साथ खा लिया था। वो नूडल्स लाया था। रोज रोज आपकी वही सब्जी-रोटी खा कर मैं बोर हो गया हूं। लेकिन बेटा ये नूडल्स जैसे जंक फूड शरीर के लिए ठीक नही होते बहुत सी बीमारियों होती है इनको खाने से। मेरे सभी दोस्त तो खाते है तो मैं क्यों नही खा सकता? कहते हुए समीर खेलने चला जाता है।
मीना समीर के स्वास्थ्य को लेकर बहुत चिंतित रहती थी। इसी वजह से वह समीर को बाहर का कुछ भी जंक फूड नही खाने देती थी। लेकिन बच्चो को कोन रोक सकता है वो अपना रास्ता निकाल ही लेते है। मीना सोचने लगी अभी तो समीर बारह वर्ष का ही है मैं अभी से उसे खाने पीने पर रोक टोक करुँगी तो ठीक नही होगा लेकिन मैं क्या करूँ की समीर बाहर के खाने से दूर रहे। यह सोच मीना परेशान हो गई।
शाम को रवि ऑफिस से आए तो मीना का चेहरा देख पुछने लगे क्या बात है परेशान क्यों लग रही हो? क्या बताऊँ रवि आज फिर समीर ने लंच नही किया मैं क्या करूँ जिससे समीर अपना लंच रोज खत्म करें ओर बाहर की चीजो से दूर रहे। अरे! बस इतनी सी बात के लिए तुम इतना परेशान हो। ये इतनी सी बात नही है मैं उसे अभी से बाहर के जंक फूड वगैरा की आदत नहीं डालना चाहती। तुम कुछ ज्यादा ही सोच रही हो अभी वो छोटा है अगर तुम गुस्से के बजाय प्यार से समझाओगी तो वो जरूर समझेगा। लेकिन मैं उसे हेल्दी खाना देती हू जिससे वह स्वस्थ रहे और उसे पोष्टिक आहार मिले। जानता हूँ मीना लेकिन आजकल के बच्चों को परिवर्तन चाहिए ओर सही तो कहा समीर ने रोज रोज सब्जी रोटी टिफिन मे दोगी तो कोई भी बोर हो जायेगा। इसके बजाय तुम उसके पसंद का खाना टिफिन में रखोगी तो वो जरूर खाएगा। तुम घर के ही बने खाने को उसके पसंद के अनुसार हफ्ते के पूरे दिनो में बदल बदल कर रख सकती हो।
अगले दिन समीर के स्कूल से आते ही माँ आज दाल के पराठे बहुत अच्छे बने थे पेट भर गया मगर मन नही भरा ओर पराठे है क्या? मीना के चेहरे पर मुस्कान बिखर गई उसे अपनी समस्या का समाधान मिल चुका था।
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@बबिता कुशवाहा
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