माँ की चिंता

माँ की चिंता, माँ की जुबानी

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Babita Kushwaha
Babita Kushwaha 16 Jun, 2020 | 1 min read
care love motherhood

एक औरत जब से गर्भवती होती है तभी से बच्चे के लिए उसकी चिंता शुरू हो जाती है और जीवनपर्यन्त बनी रहती है।बच्चा नो महीने गर्भ में रहता है लेकिन माँ को चिंता लगी रहती है कि बच्चे को सही मात्रा में पौष्टिक आहार मिल रहा है कि नही, मेरे इस तरह से काम करने या इस तरह से सोने से बच्चे को कोई तकलीफ तो नही होगी आदि।

मेरा बेटा अभी दो साल का है। उसके खेलने-कूदने, खाने पीने और स्वास्थ्य संबंधी चिंतायें तो रहती ही है लेकिन सबसे बडी चिन्ता जो मुझे अभी से डराने लगी है वो है उसके किशोरावस्था का समय। एक समय के बाद उसका बचपन निकल जायेगा और वह किशोरावस्था में कदम रखेगा। शायद सभी माता पिता सबसे ज़्यादा चिंतित इसी अवस्था को लेकर होंगे क्योंकि इसी अवस्था मे बच्चे का भविष्य निर्धारित होता है। वह किस प्रकार की संगत मे रहता है किस तरह के दोस्तों के साथ पढ़ता लिखता है या घूमता फिरता है क्योंकि जीवन मे सबसे ज्यादा प्रभाव संगत का ही पड़ता है। बच्चे दोस्त स्वयं बनाते है और उन्हें इस उम्र में इतना सही गलत का फर्क पता नही होता। इस उम्र में बच्चे हमेशा यही देखते है कि दूसरे क्या कर रहे है, क्या पहन रहे है, क्या सोच रहे। और इस उम्र में एक माँ की जिम्मेदारी ओर अधिक बढ़ जाती है।

तेजी से बदलता समय और आज कल की सामाजिक कुरीतियां मुझे यह सब सोचने को विवश कर देती है। हर माँ बस इतना ही चाहती है कि उसका बच्चा बड़ा होकर तंदुरुस्त, समझदार, नेक और दूसरों की परवाह करनें वाला इंसान बने। मैं जानती हूं कि यह काफी हद तक माँ पर ही निर्भर करता है लेकिन क्या करूं माँ हु न चिंता तो लगी ही रहती है। एक माँ की चिंता अपने बच्चे के लिए कभी खत्म नही होती जब तक माँ जीवित रहेगी अपने बच्चों की चिंता करती रहेगी।

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@बबिता कुशवाहा


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