बच्चे बहुत ही कोमल मन के होते है उन्हें संवारना और निखारना माता पिता के हाथ मे होता है। अभी कुछ दिनों पहले ही बोर्ड परीक्षा के परिणाम आये है हम अक्सर देखते और सुनते है परीक्षा में फेल होने से छात्र आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते है। छात्रों में आत्महत्या का आंकड़ा परीक्षा परिणाम आने के बाद तेजी से बढ़ जाता है। इसके लिए कही न कही माता पिता की भूमिका भी जिम्मेदार होती हैं। आप जैसा बच्चो को सिखाएंगे वे वैसा ही सीखेंगे। पर माता पिता अव्वल आने के लिए की गई अपेक्षाएं उन पर दबाव बढ़ाती है। बच्चें अपनी इच्छाएं अपने हुनर को छोड़कर सिर्फ़ वही करते है जैसा आप चाहते है। माता पिता की यही इच्छाएं कई बार बच्चों को स्वार्थी बना देती है। बच्चें इस कारण अपना ज्ञान किसी से बाँटना पसन्द नही करते। अव्वल बने रहने का ख्याल उनके दिमाग मे हावी रहता है उन्हें लगता है कि यदि किसी की मदद की तो वह प्रथम आ जायेगा।
बहुत जरूरी है कि हम बच्चों को यह शिक्षा दे कि टॉप पर बने रहना है तो हमारे अंदर किसी के प्रति हीनभावना, मदद न करना या अपने ज्ञान को न बाँटने जैसी भावना नही आनी चाहिए। ऐसी सोच की तैयारी बच्चों को बचपन से ही कराना अति आवश्यक है क्योंकि जैसा बीज बोया जाएगा वैसा ही फल आयेगा।
कई बार अभिभावक बच्चें के प्रथम आने पर जोर देते है ऐसा करना बच्चें पर मानसिक दबाव बनाना है। बच्चें को यह समझाये की अच्छे नंम्बर लाना जरूरी है पर प्रथम आने के लिए किसी को धक्का मार कर आगे नही बढ़ा जाता।
सबसे जरूरी बात जो अभिभावकों को ध्यान में रखना चाहिए कि हर बच्चा अपने आप मे अलग होता है। कई माता पिता अपने बच्चो की तुलना दूसरे बच्चों से करते है जो बिल्कुल गलत है। ऐसी बातें बच्चे के मनोबल को कम करती है। बच्चा खुद को कमजोर समझने लगता है। इसलिए पेरेंट्स को बच्चों के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाना बेहद जरूरी है। इससे वे प्रगति जरूर करेंगे।
आपकी इस विषय मे क्या राय है कंमेंट में जरूर बताएं। लेख पसन्द आये तो लाइक करना न भूलें। धन्यवाद
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice
Thanks @ekta ji
Nice article
Nice
बेहद प्रेरणादायक आलेख है। पठनीय
Well written and inspiring
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।
बहुत ही बढ़िया आर्टिकल
Thanks @sushma ji
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